अर्जुन उलझन में हैं। वह समझ नहीं पा रहे हैं कि जो श्रीकृष्ण ज्ञान के मार्ग की वकालत करते हैं, वही उन्हें कर्म के लिए मजबूर कर रहे हैं। श्रीकृष्ण फिर अर्जुन को दो मार्ग बताते हैं: पहला ज्ञान का मार्ग (ज्ञान) और दूसरा क्रिया का मार्ग (कर्म)। श्रीकृष्ण के अनुसार, हमारा सही कर्म पूजा का दूसरा रूप है और केवल सही कर्म करने से ही हम स्वतंत्रता पा सकते हैं।