पीएम मोदी ने कहा, आज मैं आपको एक बड़े एग्जाम के लिए तैयार करना चाहता हूं। ये बड़ा एग्जाम है, जिसमें हमें शत-प्रतिशत मार्क्स लेकर पास होना ही है। ये है- अपने भारत को आत्मनिर्भर बनाना। ये है वोकल फॉर लोकल को जीवन मंत्र बनाना।
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| Published : Apr 07 2021, 01:03 PM IST / Updated: Apr 07 2021, 08:58 PM IST
परीक्षा पे चर्चा: PM ने 96 मिनट बच्चों, शिक्षकों और अभिभावकों से बात की, तनाव से टिफिन तक.. दिए ये मंत्र
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार शाम 7 बजे 'परीक्षा पे चर्चा' कार्यक्रम के माध्यम से दुनियाभर के छात्रों, शिक्षकों और माता-पिता से संवाद किया। कोरोना के चलते यह कार्यक्रम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुआ। पीएम मोदी ने इस दौरान बच्चों को परीक्षाओं में बेहतर अंक हासिल करने और ऐसे वक्त में तनाव कम करने के टिप्स भी बताए।
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जवाब- पीएम मोदी ने कहा, कोरोना काल में अगर काफी कुछ खोया है, तो बहुत कुछ पाया भी है। कोरोना की सबसे पहली सीख तो यही है कि आपने जिस चीज को, जिन-जिन लोगों को मिस किया, उनकी आपके जीवन में कितनी बड़ी भूमिका है, ये कारोना काल में ज्यादा पता चला है। आपको इस बात का एहसास हुआ कि किसी को भी फॉर ग्रांटेड नहीं लेना चाहिए। जिन लोगों को जिन बातों को आपने रूटीन समझ लिया था, उनको जब मिस करते हैं, तब उनका सबका महत्व हम सबको अनुभव होता है, इस दिशा में आपको लगातार जागरूक रहना चाहिए और लाइफलॉन्ग इस पाठ को याद रखना चाहिए।
कोरोना काल में एक और बात हुई है कि हमने आपने परिवार में से एक और बात ये भी हुई है कि हमने अपने परिवार को ज्यादा नजदीकी से समझा है। कोरोना ने सोशल डिस्टेंसिंग के लिए मजबूर किया, लेकिन परिवारों में इमोशनल बॉन्डिंग को भी इसने मजबूत किया है। कोरोना काल ने ये भी दिखाया है कि एक संयुक्त परिवार की ताकत क्या होती है, घर के बच्चों के जीवन निर्माण में उनका कितना रोल होता है।
पीएम मोदी ने कहा, आपका मन अशांत रहेगा, चिंता में रहेगा, आप घबराए हुए रहेंगे तो इस बात की संभावना बहुत ज्यादा होगी कि जैसे ही आप प्रश्न पत्र देखेंगे, कुछ देर के लिए सब कुछ भूल जाएंगे। इसका सबसे अच्छा उपाय यही है कि आपको अपनी सारी टेंशन परीक्षा हॉल के बाहर छोड़कर जाना चाहिए और आपको ये भी सोचना चाहिए कि जितनी तैयारी आपको करनी थी, आपने कर ली। अब आपका फोकस प्रश्नों के अच्छे से उत्तर देने में होना चाहिए।
पीएम ने कहा- इसमें मेरा मंत्र है कि एक कान से सुनिए और दूसरे से निकाल दीजिए। यह हर बच्चे के मन में होता है कि 10वीं और 12वीं के बाद क्या करें? बहुतों के लिए यह सवाल निराशा फैलाने वाला हो सकता है। आज के चकाचौंध वाले युग में स्टूडेंट लाइफ में धारणा बन गई है कि जो टीवी पर आता है वैसा कुछ बनना है। यह बुरी बात नहीं है। लेकिन जीवन की सच्चाई से बहुत दूर है। यह जो प्रचार माध्यमों में हजार-2 हजार लोग हमारे सामने आते हैं। दुनिया इतनी छोटी नहीं है। इतना लंबा मानव इतिहास और तेजी से हो रहे परिवर्तन बहुत अवसर लेकर आते हैं।
सच्चाई यह है कि जितने लोग हैं उतने ही अवसर हैं। हमें अपनी जिज्ञासा का दायरा बढ़ाने की जरूरत है। इसलिए जरूरी है कि 10वीं और 12 वीं में आप अपने जीवन को ऑब्जर्व करने कोशिश कीजिए। खुद को ट्रेंड कीजिए। स्किल बढ़ाइए। बहुत से लोग इसमें लगे रहते हैं कि बड़ा स्टेटस मिल जाए। यह इच्छा जीवन में अंधेरे की शुरुआत करने की वजह बन जाती है। सपने देखना अच्छी बात है लेकिन सपने को लेकर बैठे रहना, उनके लिए सोते रहना यह तो सही नहीं है। आपको सोचना चाहिए कि कौन सा एक सपना है जिसे आप जीवन का संकल्प बनाना चाहेंगे। इसके बाद आपको आगे का रास्ता साफ दिखाई देने लगेगा।
पीएम का जवाब- इस सवाल पर मुस्कुराऊं या जोरो से हंस पडूं। हम मनौवैज्ञानिक तरीके से सोचें तो जवाब आसान हो जाएगा। हमारी ट्रेडिशनल चीजों के प्रति गौरव का भाव पैदा करें। खाना बनाने की प्रक्रिया सभी सदस्यों को पता होनी चाहिए। कितनी मेहनत के बाद खाना पकता है। बच्चों के सामने यह लाना चाहिए। आज के जमाने में खाने-पीने की बहुत वेबसाइट हैं। क्या हम इनसे जानकारी जुटाकर ऐसी चीजों को लेकर कोई गेम डेवलप कर सकते हैं जो हफ्ते में एक बार खेल सकते हैं। इसमें सब्जियों के फायदे बताएं। जब मित्र घर में आएं तो उनकी बात सभी सदस्य सुनें।
वे आपको बता सकते हैं कि खाने में क्या बदलाव कर सकते हैं।आप टीचर से रिक्वेस्ट कर सकते हैं कि बच्चों को खाने के बारे में क्या दिक्कत है। टीचर बात करते-करते उनके दिमाग में भर देंगे कि खाना क्यों खाना चाहिए। कुछ नए एक्सपेरिमेंट करते रहना चाहिए। कई परिवार में बच्चों को ट्रेडिशनल खाना मॉडर्न बनाकर दिया जाता है। यह मेरे सिलेबस से बाहर है लेकिन हो सकता है कि यह काम आ जाए।
पीएम ने कहा, करियर के चुनाव में एक पक्ष ये भी है कि बहुत से लोग जीवन में आसान रूट की तलाश में रहते हैं। बहुत जल्द वाह-वाही मिल जाए, आर्थिक रूप से बड़ा स्टेट्स बन जाए। ये इच्छा ही जीवन में कभी-कभी अंधकार का शुरुआत करने का कारण बन जाती है। प्रचार माध्यमों से हजार दो हजार लोग हमारे सामने आते हैं, दुनिया इतनी छोटी नहीं है। इतनी बड़ी विश्व व्यवस्था, इतना लंबा मानव इतिहास, इतनी तेजी से हो रहे परिवर्तन, बहुत सारे अवसर लेकर आते हैं।
पीएम ने कहा, सपनों में खोए रहना अच्छा लगता है। सपने देखना अच्छी बात है, लेकिन सपने को लेकर के बैठे रहना और सपनों के लिए सोते रहना ये तो सही नहीं है। सपनों से आगे बढ़कर, अपने सपनों को पाने का संकल्प ये बहुत महत्वपूर्ण है।
बच्चों के पीछे इसलिए भागना पड़ता है क्योंकि उनकी रफ्तार हमसे ज्यादा है। बच्चों को बताने, सिखाने, संस्कार देने की जिम्मेदारी परिवार की ही है, लेकिन कई बार बड़े होने के साथ हमें भी मूल्यांकन करना चाहिए।
पीएम मोदी ने कहा, बच्चे बड़े स्मार्ट होते हैं, जो आप कहेंगे, उसे वो करेंगे या नहीं करेंगे, यह कहना मुश्किल है, लेकिन इस बात की पूरी संभावना होती है कि जो आप कर रहे हैं, वो उसे बहुत बारीकी से देखता है और दोहराने के लिए लालायीत हो जाता है। जब आप इन मूल्यों के साथ, हमारे इतिहास, हमारे पुराण, हमारे पुरखों की छोटी छोटी बातों को सहजता से जोड़ेंगे तो बच्चे भी प्रेरित होंगे आचार व्यवहार में उतारना आसान होना जाएगा।
हमने जो अपना भाव विश्व बनाया हुआ है, वो जब व्यवहार की कसौटी पर खरा नहीं उतरता है तब बच्चों के मन में अंतरद्वंद शुरू हो जाता है। इसलिए मूल्यों को कभी भी थोपने का प्रयास ना करें मूल्यों को जीकर प्रेरित करने का प्रयास करें।
संवाद के दौरान एक छात्र ने पीएम मोदी से पूछा कि परीक्षा के वक्त खाली समय में क्या करना चाहिए। इस पर पीएम ने कहा, खाली समय, इसको खाली मत समझिए, ये खजाना है, खजाना। खाली समय एक सौभाग्य है, खाली समय एक अवसर है। आपकी दिनचर्या में खाली समय के पल होने ही चाहिए। पीएम ने कहा, जब आप खाली समय अर्न करते हैं, तो आपको उसकी सबसे ज्यादा वैल्यू पता चलती है। इसलिए आपकी लाइफ ऐसी होनी चाहिए कि जब आप खाली समय अर्न करें तो वो आपको असीम आनंद दे।
पीएम ने कहा, यह भी ध्यान रखने की जरूरत है कि खाली समय में किन चीजों से बचना चाहिए। नहीं तो वो ही चीज सारा समय खाएगी। पता भी नहीं चलेगा। औऱ अंत में रिप्रेश रिलेक्श होने के बजाय आप तंग आ जाएंगे, थकान महसूस करने लगेंगे।
पीएम मोदी ने कहा, टीचर्स, माता-पिता हमें सिखाते हैं कि जो सरल है, वो पहले करें और परीक्षा में तो खासतौर पर बार बार कहा जाता है कि जो सरल है, उसे पहले करो। जब टाइम बचेगा, तब वो कठिन है, उसको हाथ लगाना। मैं जरा इस चीज को अलग नजरिए से देखता हूं। जब पढ़ाई की बात हो, तो कठिन जो है, उसको पहले लीजिए, आपका माइंड फ्रैश है, आप फ्रैश हैं, उसको अटेंड करने का प्रयास कीजिए। जब कठिन को अटेंड करेंगे तो सरल और भी सरल हो जाएगा।
पीएम मोदी ने कहा, टीचर्स, माता-पिता हमें सिखाते हैं कि जो सरल है, वो पहले करें और परीक्षा में तो खासतौर पर बार बार कहा जाता है कि जो सरल है, उसे पहले करो। जब टाइम बचेगा, तब वो कठिन है, उसको हाथ लगाना। मैं जरा इस चीज को अलग नजरिए से देखता हूं। जब पढ़ाई की बात हो, तो कठिन जो है, उसको पहले लीजिए, आपका माइंड फ्रैश है, आप फ्रैश हैं, उसको अटेंड करने का प्रयास कीजिए। जब कठिन को अटेंड करेंगे तो सरल और भी सरल हो जाएगा।
हमारे यहां एग्जाम के लिए एक शब्द है- कसौटी। मतलब खुद को कसना है, ऐसा नहीं है कि एग्जाम आखिरी मौका है। बल्कि एग्जाम तो एक प्रकार से एक लंबी जिंदगी जीने के लिए अपने आप को कसने का उत्तम अवसर है। समस्या तब होती है जब हम एग्जाम को ही जैसे जीवन के सपनों का अंत मान लेते हैं, जीवन-मरण का प्रश्न बना देते हैं। एग्जाम जीवन को गड़ने का एक अवसर है, एक मौका है उसे उसी रूप में लेना चाहिए। परीक्षा जीवन को गढ़ने का एक अवसर है, उसे उसी रूप में लेना चाहिए। हमें अपने आप को कसौटी पर कसने के मौके खोजते ही रहना चाहिए, ताकि हम और अच्छा कर सकें। हमें भागना नहीं चाहिए।
पल्लवी नाम की छात्रा ने पूछा- पूरे साल पढ़ाई ठीक चल रही है, लेकिन परीक्षा के वक्त तनाव पूर्ण स्थिति हो जाती है, इसके लिए कोई उपाय बताइये? वहीं, अर्पण पांडेय ने पूछा- परीक्षा के समय भय और तनाव से कम कैसे मुक्ति पा सकते हैं?
जवाब में पीएम मोदी ने कहा, मुझे भी तनाव होता था। लेकिन सबको पता है कि पहले से जानकारी रहती है कि परीक्षा कब है। यानी कोई आसमान नहीं टूटा है, वही हो रहा है जो चीज पहले से तय है। यानी तनाव आपको परीक्षा का नहीं है, बल्कि आपके आसपास के माहौल का है, जो आपके चारों ओर परीक्षा को लेकर बना दिया गया है। पहले मां-बाप बच्चों के साथ कई विषयों पर जुड़े रहते थे और सहज भी रहते थे। आजकल मां-बाप करियर, पढ़ाई सैलेबस तक बच्चों के साथ इंवॉल्व रहते हैं। अगर मां-बाप ज्यादा इंवॉल्व रहते हैं, तो बच्चों की रुचि, प्रकृति, प्रवृत्ति को समझते हैं और बच्चों की कमियों को भरते हैं। हमारे यहां एग्जाम के लिए एक शब्द है- कसौटी। मतलब खुद को कसना है, ऐसा नहीं है कि एग्जाम आखिरी मौका है। बल्कि एग्जाम तो एक प्रकार से एक लंबी जिंदगी जीने के लिए अपने आप को कसने का उत्तम अवसर है।
पीएम ने कहा, एक बात मैं देशवासियों, अभिभावकों, अध्यापकों को बताना चाहता हूं कि ये परीक्षा पर चर्चा है लेकिन सिर्फ परीक्षा की ही चर्चा नहीं है। बहुत कुछ बातें हो सकती हैं, एक नए आत्मविश्वास पैदा करना है।
इस कार्यक्रम की शुरुआत 2018 में की गई थी। परीक्षा पे चर्चा 1.0 का आयोजन 16 फरवरी, 2018 को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में किया गया था। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी देशभर उन छात्रों से बात करते हैं जो बोर्ड परीक्षा या किसी प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। वे परीक्षा के तमाम पहलुओं पर भी चर्चा करते हैं।
इस साल इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए इस साल लगभग 14 लाख लोगों (छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों) ने रजिस्ट्रेशन कराया है। पीएम मोदी इस दौरान बच्चों से दोस्त बनकर बात करेंगे। वहीं, वे माता पिता और शिक्षकों का भी हाल जानेंगे।
इससे पहले पीएम मोदी ने ट्वीट किया, एक नया प्रारूप, विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला पर कई दिलचस्प प्रश्न और हमारे बहादुर #ExamWarriors, माता-पिता और शिक्षकों के साथ एक यादगार चर्चा।