सार
भारतीय नौसेना में कम से कम 75 नई स्वदेशी टेक्नोलॉजी या प्रोडक्ट शामिल करने के लिए शुरू हुई परियोजना स्प्रिंट (Supporting Pole-Vaulting in R&D through iDEX, NIIO and TDAC) का सोमवार को पीएम मोदी ने अनावरण किया। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत का खाका खींचा।
नई दिल्ली। सोमवार को पीएम मोदी (Narendra Modi) ने 'स्वावलंबन' सेमीनार को संबोधित करते हुए रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो रहे भारत के भविष्य का खाका खींचा। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने के साथ ही डिफेंस एक्सपोर्ट में भी तरक्की किए हैं। देश का डिफेंस एक्सपोर्ट बढ़ा है। यही नया भारत है।
प्राइवेट सेक्टर का हथियार के एक्सपोर्ट में प्रमुख योगदान
'स्वावलंबन' सेमीनार को नेवल इनोवेशन एंड इंडिजिनाइजेशन ऑर्गनाइजेशन (Naval Innovation and Indigenisation Organisation) ने आयोजित किया था। पीएम मोदी ने कहा कि 8 साल में भारत का डिफेंस एक्सपोर्ट 7 गुना बढ़ा है। पिछले साल देश ने 13 हजार करोड़ रुपये के हथियार एक्सपोर्ट किए। इसमें से 70 फीसदी योगदान प्राइवेट सेक्टर का था।
आजादी के 100वें साल में नौ सेना नई ऊंचाई को छूएगी
पीएम मोदी ने कहा कि भारतीय नौ सेना तकनीक के बल पर आत्मनिर्भर हो रही है। देश जब अपनी आजादी के 100 वर्ष का पर्व मनाए उस समय हमारी नौ सेना अभूतपूर्व ऊंचाई पर हो। देश की बढ़ती जरूरतों के लिए भी नौ सेना का स्वावलंबन बहुत जरूरी है।
अतीत से सबक लें और आगे बढ़ें
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जब हम डिफेंस के क्षेत्र में आत्मनिर्भर भविष्य की चर्चा कर रहे हैं तब यह भी आवश्यक है कि बीते दशकों में जो हुआ उससे सबक लें। इससे हमें भविष्य का रास्ता बनाने में मदद मिलेगी। आज जब हम पीछे देखते हैं तो हमें अपनी समृद्ध मेरिटाइम हेरिटेज के दर्शन होते हैं। भारत का समृद्ध ट्रेड रूट इस विरासत का हिस्सा रहा है। हमारे पूर्वज समुंद्र पर वर्चस्व इसलिए कायम कर पाये क्योंकि उन्हें हवा की दिशा और अंतरिक्ष विज्ञान के बारे में बहुत अच्छी जानकारी थी।
फिर हासिल करेंगे पुराना गौरव
पीएम मोदी ने कहा कि भारत का डिफेंस सेक्टर आजादी के पहले भी काफी मजबूत था। आजादी के समय देश में 18 ऑर्डिनेंस फैक्ट्री थी। यहां तोप समेत कई तरह के सैन्य साजो-सामान बनाये जाते थे। दूसरे विश्व युद्ध में रक्षा उपकरणों के हम अहम सप्लायर थे। हमारे हॉवित्जर तोपों को उस समय सबसे अच्छा माना जाता था। हम बहुत बड़ी मात्रा में हथियारों को एक्सपोर्ट करते थे, लेकिन फिर ऐसा क्या हुआ कि हम इस क्षेत्र में दुनिया के सबसे बड़े इम्पोर्टर बन गए। दुनिया जिन हथियारों का इस्तेमाल कर रही हो उसी का इस्तेमाल बुद्धिमानी नहीं है।
रिसर्च की ओर ध्यान नहीं दिया न नई फैक्ट्रियां बनाईं
पीएम मोदी ने कहा कि आजादी के बाद के पहले डेढ़ दशक में हमने नई फैक्ट्रियां बनाई ही नहीं। पुरानी फैक्ट्रियां अपनी क्षमता खोती गईं। 1962 के युद्ध के बाद मजबूरी में नीतियों में कुछ बदलाव हुआ, लेकिन इसमें भी रिसर्च, इनोवेशन और डेवलपमेंट पर बल नहीं दिया गया। दुनिया उस समय नई टेक्नोलॉजी और नए इनोवेशन के लिए प्राइवेट सेक्टर पर भरोसा कर रही थी, लेकिन दुर्भाग्य से रक्षा क्षेत्र को सीमित सरकारी संसाधनों के दायरे में रखा गया। भारतीय सेना को राइफल जैसे सामान्य हथियार के लिए विदेशों पर निर्भर रहना पड़ा।
कहां आयोजित हुआ था सेमीनार
NIIO द्वारा आयोजित स्वावलंबन सेमीनार, दिल्ली के डॉ अम्बेडकर इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित किया गया। इस दौरान पीएम ने 'स्प्रिंट चैलेंज' का भी अनावरण किया। इसका उद्देश्य भारतीय नौसेना में स्वदेशी प्रौद्योगिकी (indigenous technology) के उपयोग को बढ़ावा देना है। दरअसल, एनआईआईओ का लक्ष्य डिफेंस इनोवेशन ऑर्गनाइजेशन (डीआईओ) के साथ मिलकर भारतीय नौसेना में कम से कम 75 नई स्वदेशी टेक्नोलॉजी या प्रोडक्ट शामिल करना है। इस परियोजना का नाम स्प्रिंट (Supporting Pole-Vaulting in R&D through iDEX, NIIO and TDAC) है।
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