सार
पीएम नरेंद्र मोदी ने रेडियो प्रोग्राम 'मन की बात' (Mann Ki Baat) में अपने विचार शेयर किए। इस दौरान उन्होंने पद्म पुरस्कार पाने वालों की चर्चा की और बताया कि किस तरह देश में मिलट्स का इस्तेमाल बढ़ रहा है।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो प्रोग्राम 'मन की बात' (Mann Ki Baat) में अपने विचार शेयर किए। यह मन की बात प्रोग्राम का 97वां एपिसोड था। इस दौरान पीएम ने पद्म पुरस्कार पाने वालों की चर्चा की और बताया कि देश में मिलेट्स (मोटा अनाज) की मांग बढ़ रही है।
पीएम ने कहा, “गणतंत्र दिवस समारोह में अनेक पहलुओं की काफी प्रशंसा हो रही है। जैसलमेर से पुल्कित ने मुझे लिखा है कि 26 जनवरी की परेड के दौरान कर्तव्य पथ का निर्माण करने वाले श्रमिकों को देखकर बहुत अच्छा लगा। कानपुर से जया ने लिखा है कि उन्हें परेड में शामिल झांकियों में भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को देखकर आनंद आया। इस परेड में पहली बार हिस्सा लेने वाली महिला ऊंट सवारों और सीआरपीएफ की महिला टुकड़ी की काफी सराहना हो रही है।”
जनजातीय भाषाओं पर काम करने वालों को मिले पद्म पुरस्कार
पीएम ने कहा, "जनजातीय समुदायों से जुड़ी चीजों के संरक्षण और उन पर रिसर्च के प्रयास होते हैं। ऐसे ही टोटो, हो, कुइ, कुवी और मांडा जैसी जनजातीय भाषाओं पर काम करने वाले कई महानुभावों को पद्म पुरस्कार मिले हैं। यह हम सभी के लिए गर्व की बात है। धनीराम टोटो, जानुम सिंह सोय और बी. रामकृष्ण रेड्डी के नाम से पूरा देश परिचित हो गया है। सिद्धी, जारवा और ओंगे जैसी आदिवासी जनजाति के साथ काम करने वाले लोगों को भी इस बार सम्मानित किया गया है। जैसे- हीराबाई लोबी, रतन चंद्रकार और ईश्वर चंद्र वर्मा। कांकेर में लकड़ी पर नक्काशी करने वाले अजय कुमार मंडावी और गढ़चिरौली के प्रसिद्ध झाडीपट्टी रंगभूमि से जुड़े परशुराम कोमाजी खुणे को भी ये सम्मान मिला है। इसी प्रकार नॉर्थ-ईस्ट में अपनी संस्कृति के संरक्षण में जुटे रामकुईवांगबे निउमे, बिक्रम बहादुर जमातिया और करमा वांगचु को भी सम्मानित किया गया है। इस बार पद्म पुरस्कार पाने वालों में वो लोग हैं जो संतूर, बम्हुम, द्वितारा जैसे हमारे पारंपरिक वाद्ययंत्र की धुन बिखेरने में महारत रखते हैं। गुलाम मोहम्मद जाज, मोआ सु-पोंग, री-सिंहबोर कुरका-लांग, मुनि-वेंकटप्पा और मंगल कांति राय ऐसे कितने ही नाम हैं जिनकी चारों तरफ चर्चा हो रही है।"
लोकतंत्र हमारी रगों में है
नरेंद्र मोदी ने कहा, "भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और हम भारतीयों को इस बात का गर्व है कि हमारा देश मदर ऑफ डेमोक्रेसी भी है। लोकतंत्र हमारी रगों में है। हमारी संस्कृति में है। सदियों से यह हमारे कामकाज का भी एक अभिन्न हिस्सा रहा है। स्वभाव से हम एक लोकतांत्रिक समाज हैं। डॉ. अम्बेडकर ने बौद्ध भिक्षु संघ की तुलना भारतीय संसद से की थी। बाबासाहेब का मानना था कि भगवान बुद्ध को इसकी प्रेरणा उस समय की राजनीतिक व्यवस्थाओं से मिली होगी। तमिलनाडु में एक छोटा, लेकिन चर्चित गांव है-उतिरमेरुर। यहां 1100-1200 साल पहले का एक शिलालेख दुनियाभर को अचंभित करता है। यह शिलालेख एक छोटे संविधान की तरह है। इसमें विस्तार से बताया गया है कि ग्राम सभा का संचालन कैसे होना चाहिए और उसके सदस्यों के चयन की प्रक्रिया क्या हो। हमारे देश के इतिहास में लोकतांत्रिक मूल्यों का एक और उदाहरण है 12वीं सदी के भगवान बसवेश्वर का अनुभव मंडपम। यहां फ्री डिबेट और डिस्कशन को प्रोत्साहित किया जाता था। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यह मंगा कार्टा से भी पहले की बात है।"
बढ़ रही मिलेट्स की मांग
मोदी ने कहा, "आंध्र प्रदेश के नांदयाल जिले के रहने वाले के.वी. रामा सुब्बा रेड्डी ने मिलेट्स के लिए अच्छी-खासी सैलरी वाली नौकरी छोड़ दी। मां के हाथों से बने मिलेट्स के पकवानों का स्वाद कुछ ऐसा रचा-बसा था कि इन्होंने अपने गांव में बाजरे की प्रॉसेसिंग यूनिट शुरू कर दी। महाराष्ट्र में अलीबाग के पास केनाड गांव की रहने वाली शर्मीला ओसवाल पिछले 20 साल से मिलेट्स की पैदावार में यूनिक तरीके से योगदान दे रही हैं। वो किसानों को स्मार्ट एग्रीकल्चर की ट्रेनिंग दे रही हैं। उनके प्रयासों से न सिर्फ मिलेट्स की उपज बढ़ी है, बल्कि किसानों की आय में भी वृद्धि हुई है। ओडिशा की मिलेटप्रेन्यूर्स आजकल खूब सुर्खियों में हैं। आदिवासी जिले सुंदरगढ़ की करीब डेढ़ हजार महिलाओं की स्लेफ हेल्प ग्रुप, ओडिशा मिलेट्स मिशन से जुड़ी हुई है। यहां महिलाएं मिलेट्स से कूकिज, रसगुल्ला, गुलाब जामुन और केक तक बना रही हैं। बाजार में इनकी खूब डिमांड होने से महिलाओं की आमदनी भी बढ़ रही है।"
सुर्खियों में है गोवा का पर्पल फेस्ट
पीएम ने कहा, "गोवा का नाम आते ही सबसे पहले यहां की खूबसूरत कोस्टलाइन, समुद्र तटों और पसंदीदा खानपान की बातें ध्यान में आने लगती हैं, लेकिन गोवा में इस महीने कुछ ऐसा हुआ, जो बहुत सुर्खियों में है। गोवा में हुआ ये इवेंट है पर्पल फेस्ट। दिव्यांगजनों के कल्याण को लेकर यह अपने-आप में एक अनूठा प्रयास था। 50 हजार से भी अधिक हमारे भाई-बहन इसमें शामिल हुए। यहां आए लोग इस बात को लेकर रोमांचित थे कि वो अब मीरामार बीच घूमने का भरपूर आनंद उठा सकते हैं।"
बहुत बड़ी ताकत बन सकता है ई-वेस्ट
प्रधानमंत्री ने कहा, "ई-वेस्ट (इलेक्ट्रॉनिक कचरा) को ठीक से डिस्पोज नहीं किया गया तो यह हमारे पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा सकता है। अगर सावधानीपूर्वक ऐसा किया जाता है तो यह रीसायकल और रीयूज की सर्कुलर इकोनॉमी की बहुत बड़ी ताकत बन सकता है। आज पूरी दुनिया में क्लाइमेट चेंज और बायोडायवर्सिटी के संरक्षण की बहुत चर्चा होती है। इस दिशा में भारत के ठोस प्रयासों के बारे में हम लगातार बात करते रहे हैं। भारत ने अपने वेटलैंड्स के लिए जो काम किया है वो जानकर आपको भी बहुत अच्छा लगेगा। हमारे देश में अब Ramsar साइट्स की कुल संख्या 75 हो गई है। 2014 से पहले देश में सिर्फ 26 Ramsar साइट्स थी।"
यह कार्यक्रम ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन के पूरे नेटवर्क, आकाशवाणी समाचार वेबसाइट और Newsonair मोबाइल ऐप पर प्रसारित किया गया। इसे आकाशवाणी समाचार, डीडी समाचार, पीएमओ और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के यूट्यूब चैनलों पर भी लाइव-स्ट्रीम किया गया। आकाशवाणी हिंदी प्रसारण के तुरंत बाद क्षेत्रीय भाषाओं में कार्यक्रम का प्रसारण किया।