सार

ढाई साल पहले, बिहार के वैशाली जिले के राज कपूर सिंह ने गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में अपने चार बेटों में से एक को खो दिया था। लेकिन अब उन्हें अपने हाल पर छोड़ दिया गया है और वो सलाखों के पीछे हैं।

वैशाली(बिहार)। ढाई साल पहले, बिहार के वैशाली जिले के राज कपूर सिंह ने गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में अपने चार बेटों में से एक को खो दिया था। तब से ही पूरा देश इस दुख की घड़ी में उनके साथ था। लेकिन अब उन्हें अपने हाल पर छोड़ दिया गया है और वो सलाखों के पीछे हैं। आखिर उनका अपराध क्या है? दरअसल, शनिवार देर रात बिहार पुलिस ने उन्हें जबरन घसीटते हुए गालियां दी और गिरफ्तार कर लिया। 

राज कपूर सिंह के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट में दर्ज हुआ केस :

15 जून, 2022 को गलवान घाटी में हुई झड़प में मारे गए जय किशोर सिंह के परिजनों ने आरोप लगाया कि बिहार पुलिस ने दिवंगत सैनिक के पिता को उनके घर से खींचते हुए उन्हें गालियां दीं। हालांकि, पुलिस ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत जनदहा पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज कराई गई थी। शिकायतकर्ता हरिनाथ राम और राजकपूर सिंह के बीच दो साल से जमीन विवाद चल रहा है। वहीं, लोगों का आरोप है कि बिहार सरकार की जमीन में प्रस्तावित शहीद सैनिक का स्मारक बनने से रोकने के लिए अनुसूचित जाति के हरिनाथ राम ने एससीएसटी एक्ट के तहत झूठा मुकदमा दर्ज कराया था।

आखिर क्या है मामला?

दरअसल, हरिनाथ राम और राजकपूर सिंह एक ही गांव में अपनी जमीन की सीमा साझा करते हैं। जय किशोर सिंह के निधन के बाद बिहार सरकार, केंद्र सरकार और विपक्षी नेताओं के साथ कई मंत्रियों ने परिवार के सदस्यों से मुलाकात करते हुए इस बात का ऐलान किया कि उनके नाम पर एक स्मारक बनाया जाएगा। हालांकि, जमीन का आवंटन नहीं किया गया। इतना ही नहीं जिला प्रशासन ने भी इसमें कोई रुचि नहीं दिखाई।

क्या कहना है शहीद के परिवार का?

गांववालों ने सरकारी जमीन पर स्मारक बनाने का फैसला किया था, लेकिन इस पर हरिनाथ ने आपत्ति जताई थी। इसके बाद एक पंचायत बुलाई गई, जिसमें भूमि रिकॉर्ड को सहेजने वाले जनदहा ब्लॉक के अंचल अधिकारी ने उक्त जमीन पर ही स्मारक बनाने पर अपनी सहमति दी। इस बात पर भी सहमति बनी कि राजकपूर इसके आसपास जमीन खरीद कर हरिनाथ को दे देंगे और बाद में उन्हें उस जमीन के टुकड़े को खाली करना होगा, जो उनके पास है। इसके बाद निर्माण कार्य शुरू हुआ, लेकिन जैसे ही ढांचा पूरा होने वाला था, तभी हरिनाथ ने फिर से आपत्ति जतानी शुरू कर दी और एक महीने पहले राजकपूर के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज करा दिया। हरिनाथ ने स्मारक की जमीन को अवैध तरीके से कब्जा किए जाने एवं अनुसूचित जाति को मानसिक रूप से प्रताड़ित किए जाने को लेकर जनवरी, 2023 में केस दर्ज कराया था।

दिवंगत सैनिक के बड़े भाई ने कही ये बात :

दिवंगत सैनिक के बड़े भाई नंदकिशोर सिंह, जो भारतीय सेना में हैं, उन्होंने एशियानेट से बातचीत में कहा- हमें रिपोर्ट के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। एक दिन पुलिसवाले हमारे घर आए और हमें मूर्ति हटाने के लिए कहा। हम कानून को मानने वाले लोग हैं। लेकिन जिस तरह से जनदहा के स्टेशन हाउस ऑफिसर ने मेरे पिता को सार्वजनिक रूप से घसीटा और गालियां दी, वो बर्दाश्त के बाहर है। हम लोग दुर्गम इलाकों और प्रतिकूल हालातों में सीमा पर देश की सेवा कर रहे हैं, लेकिन घरों में पुलिस हमारे बूढ़े मां-बाप को परेशान कर रही है।

जमीन विवाद के मामले में एससी/एसटी एक्ट कैसे?

नंदकिशोर सिंह ने आगे कहा- प्रशासन और पुलिस इस मुद्दे पर समझौता कर सकते थे। लेकिन मुझे नहीं पता कि एसएचओ जनदहा आखिर चाहते क्या हैं। ये भूमि विवाद का मामला है। इस पर एससी/ एसटी एक्ट कैसे? ये तो कानून का सरासर दुरुपयोग है। समझौते के मुताबिक, हमने उनके लिए अलग से जमीन भी खरीदी थी, लेकिन उन्होंने लेने से मना कर दिया था।

शिकायतकर्ता ने क्या कहा?

हरिनाथ के बेटे मनोज कुमार, जो एक निजी फर्म में काम करते हैं, उन्होंने कहा- राजकपूर के पास गांव में जमीन का एक बड़ा टुकड़ा है। वो कहीं भी स्मारक बना सकते हैं। वो आखिर मेरी जमीन के सामने ही क्यों बनाना चाहते हैं? हम भी चाहते हैं कि जयकिशोर के नाम पर एक स्मारक बनाया जाए। वो हमारे भी भाई थे। दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा- समाज के दबाव में आकर हम उस समझौते के लिए राजी हुए थे। लेकिन अब इस पर हम आगे नहीं बढ़ना चाहते।

 

 

क्या कहना है पुलिस का?

महुआ एसडीपीओ पूनम केसरी के मुताबिक, स्मारक उस जमीन पर बनाया गया है, जो बिहार सरकार की है। ये जमीन एक सड़क के लिए है। दोनों पक्षों के पीछे उनकी जमीन है। आरोपियों ने सड़क को अवरुद्ध करते हुए स्मारक बनाया है। साथ ही जमीन के उस टुकड़े के लिए प्रशासन से कोई अनुमति नहीं मांगी गई। वो चाहते तो अपनी जमीन पर स्मारक बना सकते थे, या प्रशासन से जमीन मांग सकते थे। उन्होंने आगे कहा- 23 जनवरी को हरिनाथ द्वारा राजकपूर के खिलाफ जनदहा में FIR दर्ज कराई गई थी और इसके बाद उन्हें कानूनन गिरफ्तार कर लिया गया।

क्या कहना है गांववालों का?

नाम न छापने की शर्त पर गांव के ही रहनेवाले एक शख्स ने कहा- जब भी चोरी और झपटमारी की घटनाएं होती हैं, पुलिस कभी भी मौके पर नहीं पहुंचती है। हाल ही में पास के इलाके में एक एलआईसी एजेंट से एक मोटरसाइकिल छीन ली गई थी, लेकिन जनदहा पुलिस काफी देर तक वहां नहीं पहुंची। वहीं, एक और गांववाले ने आरोप लगाते हुए कहा कि एसएचओ पक्षपाती और जातिवादी हैं। Asianet ने जब जनदहा ब्लॉक के सर्किल ऑफिसर से संपर्क करने की कोशिश की, तो उनका फोन नहीं लगा।

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