सार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात की है। उन्होंने रूस से यूक्रेन में हिंसा बंद करने का आह्वान किया है। पीएम ने कहा कि भारत शांति प्रयासों में योगदान करने को तत्पर है।

नई दिल्ली। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव (Sergei Lavrov) भारत की यात्रा पर हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने लावरोव से मुलाकात की और यूक्रेन में हिंसा (Russia Ukraine War) बंद करने का आह्वान किया। उन्होंने इस बात को दोहराया कि यूक्रेन में हिंसा जल्द से जल्द समाप्त होनी चाहिए। इसके साथ ही पीएम ने कहा कि भारत शांति प्रयासों में किसी भी तरह से योगदान करने के लिए तत्पर है। 

प्रधानमंत्री कार्यालय की विज्ञप्ति के अनुसार विदेश मंत्री ने प्रधानमंत्री को यूक्रेन की स्थिति के बारे में जानकारी दी। उन्होंने रूस और यूक्रेन के बीच चल रही शांति वार्ता के बारे में भी बताया। लावरोव ने दिसंबर 2021 में आयोजित भारत-रूस द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के दौरान लिए गए निर्णयों की प्रगति पर भी प्रधानमंत्री को अपडेट किया।

मध्यस्थता कर सकता है भारत
दरअसल, यूक्रेन पर हमला करने के चलते अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगाए हैं। भारत इस मामले में तटस्थ बना हुआ  है। भारत ने शांति स्थापना पर बल दिया है। लावरोव ने शुक्रवार को कहा कि भारत शांति वार्ता में मास्को और कीव के बीच मध्यस्थता कर सकता है। बता दें कि रूस और यूक्रेन के बीच बातचीत हो रही है, लेकिन अभी तक दोनों देश युद्ध समाप्त करने के लिए समाधान निकालने में विफल रहे हैं।

लावरोव ने कहा कि भारत एक महत्वपूर्ण देश है। यदि भारत समस्या के हल के लिए भूमिका निभाना चाहता है तो रूस इसका समर्थन करेगा। भारत अंतरराष्ट्रीय समस्याओं के लिए एक न्यायसंगत और तर्कसंगत दृष्टिकोण की अपनी स्थिति के साथ है। लावरोव ने स्वतंत्र भारतीय विदेश नीति की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत पर अमेरिकी दबाव, रूस पर प्रतिबंध और ऊर्जा की बढ़ती कीमत सहित कई मुद्दों पर चर्चा हुई है।

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कोई दबाव हमारी साझेदारी प्रभावित नहीं करेगा
उन्होंने कहा कि मेरा मानना ​​है कि भारतीय विदेश नीति की विशेषता स्वतंत्रता और वास्तविकता पर एकाग्रता है। रूस की भी ऐसी ही विदेश नीति है। भारत और रूस अच्छे दोस्त और वफादार साथी हैं। भारत पर अमेरिकी दबाव के बारे में रूसी वित्त मंत्री ने कहा कि मुझे कोई संदेह नहीं है कि कोई दबाव हमारी साझेदारी को प्रभावित नहीं करेगा।

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