सार

इसरो (ISRO) ने बताया है कि 22 सितंबर को अगर चांद की सतह पर सो रहे विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को जगाने में सफलता नहीं मिली तो क्या होगा।

नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) के लिए 22 सितंबर 2023 बड़ा दिन साबित होने वाला है। इस दिन चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरे विक्रम लैंडर और इसके प्रज्ञान रोवर को नींद से उठाया जाएगा।

2 सितंबर को इसरो ने बताया था कि विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को सफलतापूर्वक स्लीप मोड में डाल दिया गया है। चंद्रमा पर दिन खत्म हो गया है। अब रात शुरू होने वाली है। 22 सितंबर 2023 को सुबह होगी। इसके बाद फिर से विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को जगाने की कोशिश की जाएगी।

इसरो ने कहा है कि लैंडर और रोवर के बैटरी पूरी तरह चार्ज हैं। सोलर पैनल भी पोजिशन में है। 22 सितंबर को सूर्योदय होने के बाद सोलर पैनल काम शुरू करेंगे। 22 को लैंडर और रोवर को दो सप्ताह की नींद के बाद जगाया जाएगा। यह बहुत महत्वपूर्ण क्षण होगा। सिग्नल प्राप्त करने के लिए रिसीवर एंटीना एक्टिव है।

 

 

इसरो ने दो सप्ताह के लिए भेजा था लैंडर
चंद्रयान-3 मिशन में इसरो ने अपने लैंडर और रोवर को दो सप्ताह काम करने के लिए भेजा था। चांद पर एक दिन धरती पर 14 दिन जितना बड़ा होता है। इसी तरह एक रात धरती पर 14 रात जितनी बड़ी होती है। मूल प्लानिंग के अनुसार लैंडर और रोवर को चांद की सतह पर सफल लैंडिंग के बाद एक लूनर डे (चांद पर एक दिन) काम करना था।

विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने सफलतापूर्वक लूनर डे में काम किया। रात होने से पहले दोनों को स्लीप मोड में डाल दिया गया। अब अगर लैंडर और रोवर को सफलतापूर्वक जगा दिया जाता है और वे काम शुरू कर देते हैं तो यह इसरो के लिए बड़ी कामयाबी होगी। इससे प्रज्ञान और विक्रम लंबे समय तक चांद की सतह पर काम करेंगे। इसरो ने कहा है कि अगर दोनों को जगाने में सफलता नहीं मिलती है तो ये भारत के चंद्र राजदूत के रूप में हमेशा वहीं रहेंगे।

23 अगस्त को चांद की सतह पर उतरा था विक्रम लैंडर
गौरतलब है कि 23 अगस्त को इसरो ने विक्रम लैंडर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतारकर इतिहास रचा था। चांद के इस हिस्से पर पहुंचने वाला भारत पहला देश है। इसके साथ ही भारत चांद पर जाने वाला दुनिया का चौथा देश बना था।