सार
अयोध्या में भगवान राम के मंदिर (Ayodhya Shri Ram Temple) का निर्माण तेजी से चल रहा है। इसी बीच श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट (Shri Ram Janmbhumi Tirth Kshetra) ने लेटेस्ट तस्वीरें जारी की है और अनोखी जानकारी भी शेयर की है।
Ayodhya Shri Ram Temple. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने राम मंदिर निर्माण से जुड़ी ताजा तस्वीरें शेयर की हैं। जिसमें यह बताया गया है कि मंदिर में हिंदू शास्त्रों के आधार पर 3600 देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित की जाएंगी। इन मूर्तियों का निर्माण कार्य भी तेजी से जारी है। जानकारी के अनुसार मूल स्थान पर स्थापित होने वाली भगवान रामलला की मूर्ति के अलावा, हिंदू शास्त्रों पर आधारित 3600 मूर्तियां भी मंदिर परिसर में स्थापित की जाएंगी। यह श्रद्धालुओं के लिए अनोखा अनुभव होगा।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने शेयर की लेटेस्ट तस्वीरें
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने ट्वीट किया है कि भगवान राम के मंदिर, स्तंभों, पीठिका और अन्य स्थानों पर इन मूर्तियों को सजाया जाएगा। लिखा कि हिंदू शास्त्रीय ग्रंथों में दिए गए कथाओं के आधार पर सुंदर मूर्तियों का निर्माण हो रहा है। इन मूर्तियों को निर्माण प्रक्रिया की सारिणी के अनुसार निर्दिष्ट स्थानों पर स्थापित किया जाएगा। यह भारतीय परंपरा और संस्कृति के लिहाज से भी सबसे बेहतर साज-सज्जा होगी।
धार्मिक विषयों को बताएंगी राममंदिर की दीवारें
अयोध्या में निर्माणाधीन भगवान श्रीराम का मंदिर भव्य बनेगा और हिंदू मंदिरों से मिलता-जुलता बनाया जा रहा है। ट्रस्ट लगातार इस विषय पर काम कर रहा है। ट्रस्ट का कहना है कि राम मंदिर की दीवारें भारतीय धार्मिक विषयों को परिलक्षित करने वाली होंगी। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के लोगों सहित धार्मिक प्रमुखों और कला विशेषज्ञों का ग्रुप इस पर निर्णय लेगा। रिपोर्ट्स बताती हैं कि दीवारों को जोड़ने के लिए स्टील की जगह तांबे का प्रयोग किया जाएगा ताकि उस पर जंग न लग सके।
50 फीसदी पूरा हुआ मंदिर का निर्माण
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा 67 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया था जिसका आकार अब 110 एकड़ कर दिया गया है। पूरे मंदिर परिसर के निर्माण पर 1000 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। फिलहाल मंदिर का निर्माण कार्य 50 प्रतिशत तक पूरा कर लिया गया है। 2023 के अंत तक मंदिर का निर्माण पूरा कर लिया जाएगा। रामलला की मूर्ति 51 इंच की होगी, जिसे गर्भगृह में बने चबूतरे पर स्थापित किया जाएगा।
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