सार
जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा 2019 अगस्त में खत्म कर दिया गया था। दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के रूप में अस्तित्व में आए इस क्षेत्र में लोकसभा व विधानसभा क्षेत्रों के नए सिरे से परिसीमन का आदेश चुनाव आयोग ने दिया था।
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में परिसीमन आयोग को दी गई चुनौती को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट में याचिका दायर कर यह आरोप लगाया गया था कि केंद्र शासित प्रदेश में परिसीमन आयोग ने निर्वाचन क्षेत्रों को रिस्ट्रक्चर कर बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने का काम किया है। याचिका में आयोग की वैधता पर सवाल खड़े करते हुए उसे खारिज करने की अपील की गई थी। एपेक्स कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया है।
याचिका दायर कर लगाया था आरोप
जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा 2019 अगस्त में खत्म कर दिया गया था। दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के रूप में अस्तित्व में आए इस क्षेत्र में लोकसभा व विधानसभा क्षेत्रों के नए सिरे से परिसीमन का आदेश चुनाव आयोग ने दिया था। केंद्र शासित प्रदेश के रूप में जम्मू-कश्मीर में परिसीमन आयोग ने नए सिरे से लोकसभा व विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन कर रिपोर्ट सौंपा। इस रिपोर्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। आरोप लगाया गया था कि परिसीमन करके बीजेपी को लाभ पहुंचाने की कोशिश की गई है। श्रीनगर के याचिकाकर्ता हाजी अब्दुल गनी खान और मुहम्मद अयूब मट्टो ने कहा कि परिसीमन आयोग संवैधानिक रूप से वैध नहीं है क्योंकि 2026 से पहले देश में कहीं भी पुनर्निर्धारण या परिसीमन पर रोक है। उन्होंने तर्क दिया कि पूरे भारत में निर्वाचन क्षेत्रों को 1971 की जनगणना के आधार पर तय किया गया था और 2026 के बाद पहली जनगणना तक अपरिवर्तित रहना चाहिए। हालांकि, सरकार ने कोर्ट में कहा कि परिसीमन आयोग 2019 में संसद में पारित जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम का हिस्सा था जब केंद्र ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का फैसला किया था।
मई 2022 में पूरा हुआ था परिसीमन...
परिसीमन आयोग ने मई 2022 में जम्मू-कश्मीर में परिसीमन पूरा किया था। नए परिसीमन के आधार पर केंद्र शासित प्रदेश में 90 विधानसभा सीटों और पांच लोकसभा सीटों के लिए निर्वाचन क्षेत्र तय किए गए थे।
दरअसल, नई जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 114 सीटें हैं। चौबीस सीटें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में है और 90 सीटों के लिए मतदान होगा। इसमें जम्मू क्षेत्र में 43 विधानसभा सीटें और कश्मीर घाटी में 47 सीटें हैं। परिसीमन आयोग ने सिफारिश की है कि पीओजेके (पाक अधिकृत जम्मू और कश्मीर) शरणार्थियों और दो कश्मीरी प्रवासियों को विधानसभा में नामित किया जाए।
परिसीमन के बाद अब आयोग मतदाता सूची संशोधन में जुटा
परिसीमन आयोग की रिपोर्ट के बाद चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर में मतदाता सूची को नए सिरे से संशोधित करने का काम शुरू कर दिया है। नए नाम जोड़े घटाए भी जा रहे हैं। राज्य में 2018 में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था। हालांकि, माना जा रहा है कि केंद्र शासित प्रदेश में जल्द ही चुनाव होंगे। उधर, राज्य के विपक्षी दलों ने बीजेपी को लाभ पहुंचाने के लिए परिसीमन कराने का आरोप लगाया है तो बीजेपी लगातार इस तरह के आरोपों का खंडन कर रही है।
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