सार
Afghanistan पर Taliban के कब्जे से भारत की महत्वाकांक्षी परियोजना मुंबई-चाबहार(Mumbai Chabahar project) पर असर पड़ने की आशंका है।
नई दिल्ली. Afghanistan पर Taliban के कब्जे के बाद भारत के एक मेगा प्रोजेक्ट मुंबई-चाबहार (Mumbai Chabahar project) के अधर में लटकने का खतरा मंडराने लगा है। बेशक तालिबानी नेता भारत से बार-बार दोस्ती की दरख्वास्त(निवेदन) कर रहे हैं, लेकिन इस प्रोजेक्ट पर संकट दिखाई देने लगा है। दरअसल, तालिबान के कब्जे के बाद इस प्रोजेक्ट से जुड़ी बैठक में अब अफगानिस्तान शामिल नहीं होगा। यह बैठक इसी साल के आखिर में होनी है INSTC एक बहु-मॉडल मार्ग है, जो मुंबई बंदरगाह को ईरान में चाबहार और आगे कैस्पियन सागर से जोड़ता है।
जुलाई में भेजा था मीटिंग का एजेंडा
जुलाई में भारत ने अफगानिस्तान को इस मीटिंग का एजेंडा भेजकर आमंत्रित किया था। लेकिन बदली हुए हालात में अफगानिस्तान ने मीटिंग में आने से इनकार किया है। बता दें कि पाकिस्तान द्वारा व्यापारिक मार्ग (transit trade route) को ब्लॉक करने के बाद भारत के लिए अफगानिस्तान और मध्य एशिया का यही इकलौता प्रवेश द्वार बचा था। चाबहार बंदरगाह चीन के बेल्ट के इतर यह रास्ता देता है। दिसंबर, 2020 में भारत, उज्बेकिस्तान और ईरान ने चाबहार बंदरगाह के संयुक्त इस्तेमाल( joint use) के संबंध में बातचीत की थी। उज्बेकिस्तान अमेरिका के नेतृत्व वाले क्वाड ग्रुप में शामिल होने पर राजी हो गया था। इसमें अफगानिस्तान के अलावा पाकिस्तान भी शामिल है। पिछले साल 11 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उज्बेकिस्तान के प्रेसिडेंट श्कवकत मिर्जियोयेव(Shavkat Mirziyoyev) के साथ वर्चुअल मीटिंग हुई थी। इस दौरान उज्बेकिस्तान के प्रेसिडेंट ने एक प्रस्ताव पेश किया था। इसके तीन दिन बाद त्रिपक्षीय बैठक(भारत-ईरान-उजबेकिस्तान) हुई थी।
तालिबान भारत से रिश्ते बनाए चाहता है, लेकिन उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता
काफी खून-खराबा करके Afghanistan पर कब्जा करने के बाद Taliban शांति और सौहार्द्र का गान कर रहा है। अगर भारत से रिश्तों की बात करें, तो वो अब दोस्ती का हाथ बढ़ा रहा है। AVP न्यूज ने तालिबान के नेता मौलवी जियाउल हक्कमल का एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू लिया है। इसमें यही कहा जा रहा है तालिबान भारत से मैत्रीपूर्ण रिश्ते रखना चाहता है। इससे पहले तालिबान के वरिष्ठ नेता शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई भी भारत की सराहना कर चुके हैं। उन्होंने भारत को एक महत्वपूर्ण देश बताते हुए कहा था कि तालिबान भारत के साथ अफगानिस्तान के व्यापारिक, आर्थिक और राजनीतिक संबंधों को बनाए रखना चाहता है। लेकिन तालिबान की बात पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। दूसरा, भारत कभी नहीं चाहेगा कि हिंसा के बूते बनाई गई सरकार को आगे बढ़ने का मौका
जानिए क्या है ये चाबहार प्रोजेक्ट
चाबहार पोर्ट या चाबहार बंदरगाह ओमान की खाड़ी के तट पर दक्षिण-पूर्वी ईरान में स्थित है। भारत-ईरान और अफगानिस्तान ने चाबहार-हाजीगाक गलियारे के लिए कम से कम 21 अरब डॉलर ( क़रीब डेढ़ लाख करोड़ रुपए) का निवेश करने का एक समझौता Memorandum of Understanding-MOU) किया था। इसके तहत चाबहार-हाजीगाक रेलवे के लिए भारत 2 अरब डॉलर का निवेश कर रहा था। इसके साथ ही 200 किलोमीटर लंबी बहु-मोड उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) के माध्यम से तुर्की को यूरोप से जोड़ने की कनेक्टिविटी परियोजना थी। चाबहार पोर्ट ताजिकिस्तान में भारत को फ़रखोर एयर बेस (ताजिकिस्तान स्थित एयर बेस जो भारत संचालित करता है) तक सीधी पहुंच देता। लेकिन अब अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद यह प्रोजेक्ट अधर में लटकता दिखाई दे रहा है।