Temple Stampede in India: आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम में वेंकटेश्वर मंदिर में एकादशी पर भगदड़ मच गई, जिसमें 10 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। यह हादसा पिछले 10 महीनों में तीसरा बड़ा मंदिर हादसा है। इससे पहले इसी तरह की भगदड़ में कई जान जा चुकी है। 

Temple Stampede in 2025: आंध्र प्रदेश के वेंकटेश्वर मंदिर में शनिवार, 1 नवंबर की सुबह एक दर्दनाक हादसा हुआ। एकादशी के मौके पर भारी भीड़ जमा थी, तभी धक्का-मुक्की के बीच रेलिंग टूट गई और भगदड़ मच गई। इस हादसे में 10 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। 25 से ज्यादा लोग घायल हैं और इलाज चल रहा है। यह पहली बार नहीं है जब श्रद्धा की भीड़ मातम में बदल गई। पिछले 10 महीनों में यानी इस साल की शुरुआत से अब तक देश के कई मंदिरों में इसी तरह की भगदड़ से कई लोगों की जान गई है। आइए जानते हैं इस साल के तीन सबसे बड़े मंदिर हादसे...

तिरुपति बालाजी मंदिर हादसा

साल 2025 की शुरुआत एक बड़े हादसे से हुई थी। तिरुपति बालाजी मंदिर में 10 जनवरी की रात करीब 9:30 बजे वैकुंठ द्वार दर्शन टिकट काउंटर के पास भगदड़ मच गई थी। उस वक्त हजारों लोग दर्शन के लिए लाइन में थे और आगे जाने की होड़ में अफरा-तफरी मच गई। इस हादसे में 6 लोगों की मौत हो गई और 40 श्रद्धालु घायल हो गए थे। टिकट वितरण और भीड़ नियंत्रण में गंभीर चूक सामने आई। ट्रस्ट ने बाद में माना कि उस दिन 4,000 से ज्यादा श्रद्धालु लाइन में थे, जबकि जगह की क्षमता आधी थी।

गोवा शिरगांव लैराई जात्रा हादसा

गोवा के शिरगांव गांव में हर साल लैराई जात्रा (यात्रा) के दौरान हजारों श्रद्धालु जुटते हैं। लेकिन इस बार, 2 मई की रात श्रद्धा का उत्सव मातम में बदल गया। एक दुकान के सामने बिजली के तार से करंट लगने के बाद अफरा-तफरी मच गई और लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे। सिर्फ कुछ मिनटों में पूरा माहौल भगदड़ में बदल गया। इस हेादसे में 7 लोगों की मौत हो गई, 50 से ज्यादा घायल हुए। भीड़ नियंत्रण और बिजली सुरक्षा में भारी लापरवाही देखने को मिली।

हरिद्वार मनसा देवी मंदिर हादसा

हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में 27 जुलाई को भारी भीड़ के बीच भगदड़ मच गई। सुबह करीब सवा 9 बजे यह हादसा उस वक्त हुआ, जब हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए सीढ़ियों पर चढ़ रहे थे। इस दौरान अचानक आगे के हिस्से में धक्का-मुक्की हुई और करंट फैलने की अफवाह से अफरा-तफरी मच गई। इस हादसे में 8 श्रद्धालुओं की मौत हो गई, 30 से ज्यादा घायल हुए। मंदिर प्रशासन ने करंट की बात को अफवाह बताया। जांच में पाया गया कि क्राउड कंट्रोल के इंतजाम बहुत कमजोर थे। यह मंदिर शिवालिक पहाड़ियों के बिल्व पर्वत पर स्थित है, जहां पहुंचने के लिए करीब 800 सीढ़ियां या रोपवे का इस्तेमाल होता है।

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