सार

मार्च-अप्रैल में हुए बंगाल विधानसभा चुनावों में नंदीग्राम सीट से हारने के बाद ममता बनर्जी ने 5 मई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। ममता बनर्जी को मुख्यमंत्री बने रहने के लिए अगले महीने यानी नवम्बर महीने की 4 तारीख को विधायक पद का शपथ लेना जरुरी है। 

कोलकाता। पश्चिम बंगाल (West Bengal) की मुख्यमंत्री (Chief Minister) ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) ने विधानसभा उपचुनाव (Assembly byelections) रिकार्ड मतों से जीतने के साथ ही अपनी कुर्सी पर मंडराने वाला संवैधानिक संकट टाल दिया है। हालांकि, राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Governor Jagdeep Dhankar) ने इस संकट को बढ़ाने के लिए एक और आदेश दे दिया है। राज्यपाल ने विधानसभा सचिवालय को आदेश जारी करते हुए विधायकों के शपथ ग्रहण कराने के अधिकार को स्पीकार से छीन लिया है। हालांकि, राज्य सरकार ने सात अक्तूबर को शपथ ग्रहण की तारीख तय करते हुए एक औपचारिक निमंत्रण भेजने का ऐलान कर दिया है। लेकिन माना जा रहा है कि एक बार फिर महामहिम और सरकार के बीच तल्खी बढ़ सकती है। 

4 नवम्बर तक शपथ लेना जरुरी

ममता बनर्जी को मुख्यमंत्री बने रहने के लिए अगले महीने यानी नवम्बर महीने की 4 तारीख को विधायक पद का शपथ लेना जरुरी है। लेकिन उपचुनाव परिणाम घोषित होते ही राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने विधानसभा के स्पीकर बिमन बनर्जी से विधायकों को शपथ दिलवाने की शक्ति छीन ली है। मार्च-अप्रैल में हुए बंगाल विधानसभा चुनावों में नंदीग्राम सीट से हारने के बाद ममता बनर्जी ने 5 मई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।

क्या है पत्र में...

सूत्रों के अनुसार भबानीपुर और मुर्शिदाबाद जिले की दो सीटों पर हुए उपचुनाव से पहले ही राजभवन की तरफ से स्पीकर के दफ्तर को एक चिट्ठी मिली थी। इस चिट्ठी में संविधान के अनुच्छेद 188 का जिक्र किया गया है, जो राज्यपाल को शपथ दिलवाने की शक्ति देता है।

विधानसभा के एक अधिकारी ने बताया कि राजभवन की चिट्ठी में लिखा है कि मंत्रियों और विधायकों को शपथ दिलवाने का अधिकार राज्यपाल को मिला है। राज्यपाल जहां राजभवन में मंत्रियों को शपथ दिलवाते हैं, वहीं स्पीकर राज्यपाल के प्रतिनिधि के तौर पर सदन में विधायकों को शपथ दिलवाते हैं। 

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