सार
किसानों को जलवायु परिवर्तनों के प्रति तैयार करने के साथ आयु दुगुनी करने में मदद करेगा वॉटरशेड मैनेजमेंट प्रोजेक्ट। भारत सरकार, कर्नाटक और ओडिशा की राज्य सरकारों और विश्व बैंक ने कायाकल्प वाटरशेड' नामक कार्यक्रम के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
नई दिल्ली। जलवायु परिवर्तनों के प्रति किसानों को तैयार करने और उनके बेहतर प्रोडक्टिविटी व अच्छी आय के लिए वॉटरशेड मैनेजमेंट (Watershed Management) अपनाने के लिए विश्व बैंक (World Bank) 115 मिलियन डॉलर (869 करोड़ रुपये) लोन देगा। यह लोन भारत में वॉटरशेड मैनेजमेंट प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए देश के कई राज्यों में चल रही परियोजनाओं को आर्थिक सहायता प्रदान करेगा।
सरकार ने किया समझौते पर हस्ताक्षर
केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि भारत सरकार (GoI), कर्नाटक (Karnataka) और ओडिशा (Odisha) की राज्य सरकारों और विश्व बैंक ने 'इनोवेटिव डेवलपमेंट प्रोग्राम के माध्यम से कृषि लचीलापन के लिए कायाकल्प वाटरशेड' नामक कार्यक्रम के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
भारत में दुनिया के सबसे बड़े वाटरशेड प्रबंधन कार्यक्रमों में से एक है। नया कार्यक्रम देश में वाटरशेड प्रबंधन प्रणाली को और बढ़ावा देगा। समझौते के अनुसार, इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट (IBRD) वित्तपोषण कर्नाटक को $ 60 मिलियन (453.5 करोड़ रुपये), ओडिशा को $ 49 मिलियन (370 करोड़ रुपये) के साथ, केंद्र सरकार के भूमि संसाधन विभाग के लिए $ 6 मिलियन (45.5 करोड़ रुपये) का सपोर्ट देगा। वित्त मंत्रालय ने कहा कि 115 मिलियन डॉलर (869 करोड़ रुपये) के ऋण की परिपक्वता अवधि 15 वर्ष है, जिसमें 4.5 वर्ष की छूट अवधि भी शामिल है।
26 मिलियन हेक्टेयर खराब जमीन को उपजाऊ बनाया जाएगा
भारत सरकार ने 2030 तक 26 मिलियन हेक्टेयर खराब भूमि को बहाल करते हुए उपजाऊ बनाने का लक्ष्य बनाया है।साथ ही 2023 तक किसानों की आय को दोगुना करने की योजना की घोषणा की है। प्रभावी वाटरशेड प्रबंधन अधिक लचीला खाद्य प्रणाली का निर्माण करते हुए वर्षा आधारित क्षेत्रों में आजीविका बढ़ाने में मदद कर सकता है।
इस संदर्भ में, नया कार्यक्रम भाग लेने वाली राज्य सरकारों को वाटरशेड योजना और निष्पादन को बदलने और पूरे देश में दोहराई जा सकने वाली विज्ञान-आधारित योजना को अपनाने के प्रयासों में मदद करेगा।
वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि COVID-19 महामारी ने भारत में स्थायी और जोखिम-रहित कृषि की आवश्यकता पर बल दिया, जो दोनों ही किसानों को जलवायु अनिश्चितताओं से बचाती है। और उनकी आजीविका को मजबूत करता है। जबकि भारत में वाटरशेड विकास के लिए एक मजबूत संस्थागत वास्तुकला पहले से मौजूद है। इस परियोजना के माध्यम से विज्ञान-आधारित, डेटा-संचालित दृष्टिकोणों पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने से जलवायु परिवर्तन की स्थिति में किसानों के लिए नए अवसर मिल सकते हैं।
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