सार

युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय के अनुसार, यूरोप में प्रशिक्षण और प्रतियोगिता के लिए वीजा सपोर्ट लेटर, स्पोर्ट्स गियर और रिकवरी इक्विपमेंट की खरीद के लिए वित्तीय सहायता।

नई दिल्ली. नीरज चोपड़ा ने शनिवार को टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड जीतकर इतिहास रच दिया है। 13 साल के लंबे इंतजार के बाद भारत को इंडिविजुअल गेम में दूसरा गोल्ड मेडल मिला। उनकी इस जीत के बाद पूरा देश गौरवान्वित महसूस कर रहा है। गोल्ड मेडल लाने में नीरज ने बहुत मेहनत की लेकिन इस कामयाबी के पीछे भारत सरकार का बहुत बड़ा योगदान है। बहुत से लोग सवाल उठाते हैं आखिर उनकी की जीत का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दिया जा रहा है। आइए हम आपको कुछ फैक्ट्स के जरिए बताते हैं कि सरकार ने गोल्ड मेडल जीतने वाले नीरज और बाकि खिलाड़ियों की तैयारी में कितना पैसा खर्च किया है।

इसे भी पढ़ें- Neeraj Chopra का अबतक का सबसे बड़ा Exclusive Interview: जीत के बाद खोले दिल के राज, दिए कई रोचक जवाब

नीरज चोपड़ा की तैयारी में सरकार ने कितना पैसा खर्च किया
नीरज की तैयारी के लिए सरकार ने करीब 7 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। नीरज ने विदेश में 450 दिन तक ट्रेनिंग ली। नेशनल कोचिंग कैम्प NSNSI पटियाला में 1167 दिन रहे। नीरज के लिए विदेशी कोच डॉ. क्लोस बार्टोनिट्ज  को नियुक्त किया। करीब 74.28 लाख रुपए की जेवलिन थ्रो मशीन। 

सरकार ने क्या-क्या मदद की
युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय के अनुसार, यूरोप में प्रशिक्षण और प्रतियोगिता के लिए वीजा सपोर्ट लेटर, स्पोर्ट्स गियर और रिकवरी इक्विपमेंट की खरीद के लिए वित्तीय सहायता। नेशनल प्रशिक्षण शिविर में प्रशिक्षण के लिए बायो-मैकेनिस्ट विशेषज्ञ सह कोच की भर्ती और विदेशों में खेलने के अवसर। महासंघ और एनजीओ के साथ इंजरी मैनेजमेंट और रिहैबिलिटेशन। वर्तमान ओलंपिक चक्र में 26 अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की गई।

इसे भी पढ़ें-  Tokyo Olympics 2020: टोक्यो ओलंपिक भारत के लिए अभी तक सबसे सफल, 2012 का तोड़ा रिकॉर्ड

ओलंपिक के लिए सरकार ने कितना खर्च किया
ओलंपिक खेलों के लिए सरकार ने टारगेट ओलंपिक पोडियम योजना (टाप्स) की शुरुआत की। इस योजना का मकसद है ओलिंपिक खेलों के लिए खिलाड़ियों की पहचान कर उन्हें समर्थन देना है जिसे टारगेट ओलंपिक पोडियम योजना कहा गया। रियो ओलंपिक के बाद सरकार ने इस योजना के तहत करीब 52,65,388 रुपये खर्च किए।  साई प्रशिक्षण केंद्र (एसीटीसी) के लिए करीब 1,29,26,590 रुपये खर्च किए। 2016 के बाद सरकार ने अब तक 1,81,91,978 रुपये खर्च किए हैं।

इसे भी पढ़ें- ऐसा है गोल्डन बॉय नीरज चोपड़ा का डाइट प्लान, चीट डे पर खाना पसंद है ये स्ट्रीट फूड

खेलो इंडिया योजना का भी लाभ
खेल को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने 2018 में खेलो इंडिया योजना शुरू की थी। इस योजना में एक अखिल भारत स्तरीय स्पोर्ट छात्रवृत्ति योजना भी शामिल है, जो चुनिंदा खेलों में प्रति वर्ष 1,000 प्रतिभावान युवा खिलाड़ियों को कवर करेगी। इस योजना के तहत चुने गए हर एथलीट को सालान तौर पर 5 लाख रुपये की छात्रवृत्ति 8 साल तक लगातार मिलेगी।

इसे भी पढ़ें- ऐसे ही नहीं आता गोल्ड: खिलाड़ियों का ध्यान रखते हैं पीएम, राज्यवर्धन सिंह ने कहा- धन्यवाद मोदी जी

बढ़ाया गया बजट
केन्द्र सरकार ने 2019-20 में खेलो के लिए 1989.30 करोड़ रुपए का बजट दिया। जो 2011-12 के 657 करोड़ रुपए की तुलना में करीब 300 फीसदी ज्यादा है। सभी ओलंपिक खिलाड़ियों को विश्वस्तरीय ट्रेनिंग, कोचिंग, इक्विपमेंट की सुविधा दी जाती है। ये सुविधा सभी खिलाड़ियों की दी जाती है।  

2012 ओलंपिक का टूटा रिकॉर्ड
भारतीय दल ने टोक्यो ओलंपिक में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देते हुए कुल 7 पदक जीते। टोक्यो से पहले भारत ने लंदन ओलंपिक 2012 में सबसे ज्यादा 5 पदक जीते थे।

इसे भी पढ़ें- Tokyo Olympics 2020 में भारत की जीत की ये 7 धांसू तस्वीरें, देखकर हर भारतीय की सीना हो जाएगा गर्व से चौड़ा
 

पीएम मोदी ने किया मोटिवेट
वहीं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खिलाड़ियों को लगातार मोटिवेट किया है। टोक्यो ओलंपिक के लिए रवाना होने वाले भारतीय दल से पीएम मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए बात की। वहीं, टोक्यो ओलंपिक में जीतने वाले खिलाड़ियों को बधाई दी तो जो खिलाड़ी मेडल लाने में सफल नहीं हुए उनसे बात कर उनके खेल की सराहना की और आगे के लिए शुभकामनाएं दीं। पीएम मोदी ने इस बार 15 अगस्त को टोक्यो जाने वाले सभी खिलाड़ियों को विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रण दिया है।