सार
जेरेमी जब 6 साल के थे तो उनका सपना अपने पिता की तरह बॉक्सर बनने का था। उन्होंने बॉक्सिंग का प्रशिक्षण भी लेना शुरू कर दिया क्योंकि इनके खुद नेशनल लेवल के बॉक्सर रहे। लेकिन बाद वे वेटलिफ्टिंग की दुनिया में आ गए।
Jeremy Lalrinnunga. 19 साल के प्रतिभाशाली वेट लिफ्टर जेरेमी लालरिनुंगा ने भारत को दूसरा गोल्ड दिलाया है। इसके साथ ही भारत ने कॉमनवेल्थ में 5 मेडल जीत लिए हैं और पदक तालिका में 6ठें स्थान पर पहुंच गया है। वेटलिफ्टर जेरेमी ने चोटिल होने के बावजूद गोल्ड जीता है। जेरेमी ने 67 किलोग्राम भारवर्ग में कुल 300 किलो वजह उठाया, जो कि कॉमनवेल्थ गेम्स का भी एक रिकॉर्ड है। कोहनी में चोट के बावजूद जेरेमी ने हिम्मत नहीं हारी और वेटलिफ्टिंग में भारत को पांचवां पदक दिला दिया।
10 साल की उम्र से उठा रहे वजन
जेरेमी लालरिनुंगा के पिता नेशनल लेवल के मुक्केबाज थे तो बेटा भी उन्हीं के नक्शे कदम पर चलना चाहता था। 6 वर्ष की उम्र से ही जेरेमी ने बॉक्सिंग सिखनी शुरू कर दी। बाद में वे वेटलिफ्टिंग में आ गए। जेरेमी लालरिनुंगा जब मात्र 10 वर्ष के थे, तभी से वे भार उठाना शुरू कर दिए। उन्होंने पुणे के आर्मी स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूचट से ट्रेनिंग लेनी शुरू की और 2016 से यानी मात्र 12 साल की उम्र से ही वे नेशनल व इंटरनेशनल टूर्नामेंट में भाग लेने लगे।
15 साल की उम्र में बनाया रिकॉर्ड
जेरेमी ने कॉमनवेल्थ गेम्स में 305 किलोग्राम वजन उठाकर कॉमनवेल्थ गेम्स का नया रिकॉर्ड बनाया है। हालांकि उनका और रिकॉर्ड्स का नाता काफी पुराना है। वे सबसे कम उम्र में गोल्ड जीतने वाले पहले भारतीय बन गए हैं। 2018 के युवा ओलंपिक में भी जेरेमी ने 274 किलोग्राम भार उठाकर रिकॉर्ड बनाया था। तब वे सिर्फ 15 साल के ही थे। मिजोरम के रहने वाले इस युवा एथलीट से अब पेरिस ओलंपिक में भी पदक जीतने की उम्मीदें बढ़ गई हैं।
रोनाल्डो हैं पसंदीदा खिलाड़ी
जेरेमी लालरिनुंगा को फुटबाल भी बेहद पसंद है और रोनाल्डो उनके पसंदीदा खिलाड़ी हैं। वे रोनाल्डो को अपना आदर्श भी मानते हैं। इसके पीछे जेरेमी मानते हैं कि इतनी शोहरत मिलने के बाद भी रोनाल्डो जैसा खिलाड़ी अपने खेल को पूरा समय देते हैं। रोनाल्डो की यही बात जेरेमी को प्रेरित करती है। जेरेमी के पिता बॉक्सिंग में मेडल जीतना चाहते थे लेकिन वे ऐसा नहीं कर पाए लेकिन बेटे ने सपना पूरा कर दिखाया।
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