सार

पीएम मोदी ने कहा कि आजादी के बाद दिल्ली में कुछ गिने-चुने परिवारों के लिए ही नव-निर्माण हुआ। लेकिन आज देश उस संकीर्ण सोच को पीछे छोड़कर, नए गौरव स्थलों का निर्माण कर रहा है, उन्हें भव्यता दे रहा है। ये हमारी ही सरकार है जिसने दिल्ली में बाबा साहेब मेमोरियल का निर्माण किया।

गांधीनगर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने शुक्रवार को गुजरात के सोमनाथ मंदिर (Somnath temple) के नजदीक बने सर्किट हाउस का वर्चुअली उद्घाटन किया। इस मौके पर पीएम मोदी ने देशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि कि भगवान सोमनाथ की कृपा अवतीर्ण होती है, कृपा के भंडार खुल जाते हैं। पीएम ने कहा कि जिन परिस्थितियों में सोमनाथ मंदिर को तबाह किया गया और फिर जिन परिस्थितियों में सरदार पटेल जी के प्रयासों से मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ, वो दोनों ही हमारे लिए एक बड़ा संदेश हैं।

पीएम मोदी की बड़ी बातें

  • अलग-अलग राज्यों से, देश और दुनिया के अलग-अलग कोनों से सोमनाथ मंदिर में दर्शन करने हर साल करीब करीब एक करोड़ श्रद्धालु आते हैं। ये श्रद्धालु जब यहां से वापस जाते हैं, तो अपने साथ कईं नए अनुभव, कईं नए विचार और एक नई सोच लेकर जाते हैं।
  • सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट ने कोरोना काल में जिस तरह यात्रियों की देखभाल की, समाज की जिम्मेदारी उठाई, इसमें ‘जीव ही शिव’ विचार के दर्शन होते हैं।
  • हम दुनिया के कई देशों के बारे में सुनते हैं कि उसकी अर्थव्यवस्था में पर्यटन का योगदान कितना बड़ा है। हमारे यहां तो हर राज्य में, हर क्षेत्र में ऐसी ही अनंत संभावनाएं हैं।
  • पहले जो हेरिटेज साइट्स उपेक्षित पड़ी रहती थी, उन्हें अब सबके प्रयास से विकसित किया जा रहा है। प्राइवेट सेक्टर भी इसमें सहयोग के लिए आगे आया है। Incredible India और देखो अपना देश जैसे अभियान आज देश के गौरव को दुनिया के सामने रख रहे हैं, पर्यटन को बढ़ावा दे रहे हैं।
  • रामायण सर्किट के जरिए भगवान श्रीराम से जुड़े स्थलों का दर्शन कर सकते हैं, इसके लिए रेलवे द्वारा एक विशेष ट्रेन भी शुरु की गई है। कल से एक स्पेशल ट्रेन दिव्य काशी यात्रा के लिए दिल्ली से शुरु होने जा रही है।
  • आज देश पर्यटन को समग्र रूप में, holistic way में देख रहा है। आज के समय में पर्यटन बढ़ाने के लिए चार बातें आवश्यक हैं। पहला स्वच्छता- पहले हमारे पर्यटन स्थल, पवित्र तीर्थस्थल भी अस्वच्छ रहते थे। आज स्वच्छ भारत अभियान ने ये तस्वीर बदली है।
  • पर्यटन बढ़ाने के लिए दूसरा अहम तत्व है सुविधा। लेकिन सुविधाओं का दायरा केवल पर्यटन स्थल तक ही सीमित नहीं होना चाहिए। सुविधा परिवहन की, इंटरनेट की, सही जानकारी की, मेडिकल व्यवस्था की, हर तरह की होनी चाहिए और इस दिशा में भी देश में चौतरफा काम हो रहा है।
  • पर्यटन बढ़ाने का तीसरा महत्वपूर्ण पहलू है समय। आजकल ट्वेन्टी-ट्वेन्टी का दौर है। लोग कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा स्थान कवर करना चाहते हैं। पर्यटन बढ़ाने के लिए चौथी और बहुत महत्वपूर्ण बात है - हमारी सोच। हमारी सोच का innovative और आधुनिक होना जरूरी है। लेकिन साथ ही साथ हमें अपनी प्राचीन विरासत पर कितना गर्व है, ये बहुत मायने रखता है।
  • आजादी के बाद दिल्ली में कुछ गिने-चुने परिवारों के लिए ही नव-निर्माण हुआ। लेकिन आज देश उस संकीर्ण सोच को पीछे छोड़कर, नए गौरव स्थलों का निर्माण कर रहा है, उन्हें भव्यता दे रहा है। ये हमारी ही सरकार है जिसने दिल्ली में बाबा साहेब मेमोरियल का निर्माण किया।
  • आज आजादी के अमृत महोत्सव में हम एक ऐसे भारत के लिए संकल्प ले रहे हैं, जो जितना आधुनिक होगा उतना ही अपनी परंपराओं से जुड़ा होगा। हमारे तीर्थस्थान, हमारे पर्यटन स्थल इस नए भारत में रंग भरने का काम करेंगे।
  • मेरे लिए वोकल फॉर लोकल में पर्यटन भी आता है। विदेश घूमने जाने का प्लान करने से पहले परिवार में ये तय करो कि पहले हिंदुस्तान के 15-20 मशहूर स्थलों में आप घूमेंगे। देश को समृद्ध बनाना है तो इस रास्ते पर चलना ही होगा।

क्या है खासियत
30 करोड़ की लागत से बने इस अतिथि गृह में सभी प्रकार की आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। यहां  VIP और डीलक्स कमरे, सम्मेलन कक्ष और सभागृह भी बनाए गए हैं। कमरों की बनावट कुछ इस तरह है कि लोग अंदर से ही समुद्र का नजारा देख सकेंगे। 

सोमनाथ मंदिर का इतिहास
बता दें कि सोमनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यह गुजरात के वेरावल बंदरगाह से कुछ ही दूरी पर बना है। 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक सोमनाथ को लेकर मान्यता है कि इसकी स्थापना चंद्र देव ने की थी। इस मंदिर की ऊंचाई करीब 155 फीट है। इस मंदिर पर एक कलश रखा गया है, जिसका वजन करीब 10 टन है। इसका पुननिर्माण स्‍वतंत्र भारत में देश के गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की पहल पर किया गया था, जिसके कई साल बाद दिसंबर 1995 में तत्‍कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया था। समुद्र किनारे स्थित इस मंदिर पर 17 बार हमला किया गया और इसके साथ तोड़फोड़ हुई। हर बार अलग-अलग राजाओं के द्वारा इसका पुननिर्माण भी होता रहा। 

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