सार
राजस्थान के अजमेर में दर्दनाक हादसा हुआ। जहां एक, तीन और चार साल के भाई बहनों के लिए चाय बना रहा था 6 साल का बड़ा भाई, तभी घर में आग लग गई। भाग नहीं सकी तो एक्सीडेंट में एक और 3 साल की बहन जिंदा जल गई। घटना के समय माता पिता मजदूरी करने गए थे।
अजमेर. राजस्थान के अजमेर शहर में स्थित पुष्कर से दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है । पुष्कर में 1 और 3 साल की दो बच्चियों की जलने से मौत हो गई। वह बचाने के लिए चीख पुकार करती रही लेकिन जब तक आग शांत होगी उससे पहले दोनों ने दम तोड़ दिया था। दोनों बहनों के लिए 6 साल का उनका भाई चाय बना रहा था। इस दौरान कच्चे घर में आग लग गई। पूरा मामला पुष्कर के चावंडिया गांव का है।
मजदूरी करने गए माता- पिता, भाई बनाने लगा चाय, तभी हुआ ये..
पुष्कर पुलिस ने बताया कि गांव में रहने वाले दिनेश और उसकी पत्नी लीला मजदूरी का काम करते हैं। दोनों सवेरे करीब 9:00 बजे मजदूरी करने के लिए गांव से बाहर चले गए थे। घर की जिम्मेदारी 6 साल के बेटे जितेंद्र पर थी। जितेंद्र को घर संभालने के साथ-साथ अपनी 4 साल की बहन चंचल, 3 साल की बहन दीपा और 1 साल की बहन पूजा को भी संभालना था। दोपहर करीब 1:00 बजे के आसपास जब दीपा ने भाई जितेंद्र से खाने के लिए कुछ मांगा तो जितेंद्र घर में रखें चूल्हे पर चाय बनाने लगा। लेकिन चाय बनाते समय अचानक चूल्हे के पास रखें कपड़ों के ढेर में आग लग गई। जितेंद्र कुछ समझ पाता इससे पहले ही आस पास रखे सामान को भी आग की चपेट में ले लिया।
आग ने पूरे घर को चपेट में लिया
आग तुरंत बढ़ती गई और आग में धीरे-धीरे पूरे कच्चे घर को ही नष्ट कर दिया। जितेंद्र और चंचल दौड़ कर बाहर चले गए और चीखने चिल्लाने लगे। दोपहर के समय अधिकतर अड़ोस पड़ोस के लोग अपने घरों में थे, लेकिन जब बच्चों के चीखने की आवाज आई तो लोग बाहर दौड़े । कोई कुछ मदद कर पाता इससे पहले ही कच्चे घर का एक हिस्सा टूटकर अंदर बैठे बच्चों पर जा गिरा। ग्रामीणों ने तुरंत आग काबू करने की कोशिश की । एक दमकल को मौके पर बुलाया। 20 से 25 मिनट में जाकर पूरी आग काबू की जा सकी।
जब तक मदद आई सब हुआ खत्म
घटना के बाद जब छप्पर हटाया गया तब तक 1 और 3 साल की दोनों बच्चियों की जलने से मौत हो चुकी थी। इसकी सूचना पड़ोसियों ने जितेंद्र के पिता दिनेश को दी। दिनेश और उसकी पत्नी लीला कुछ देर बाद घर पहुंचे। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को इसकी सूचना दी गई। दोनों बच्चियों के शवों को राजकीय अस्पताल के मुर्दाघर में रखवाया गया है। दिनेश ने पुलिस को बताया कि आज शाम बहुत जल्दी आने वाला था और बच्चों के लिए दिवाली के कपड़े लेकर आने वाला था। लेकिन अब उसके दो बच्चे हमेशा के लिए उसका साथ छोड़ गए।
इस घटना के बारे में जिसे भी जानकारी मिली वह सन में रह गया। कुछ लोग दिनेश और उसकी पत्नी को भी इसके लिए जिम्मेदार ठहरा रहे थे, उनका कहना था कि 6 साल के बच्चे पर तीन छोटे भाई बहन की जिम्मेदारी सौंपना गलत है। इस पर दिनेश का कहना है कि पेट पालने के लिए वह बच्चों को अकेला छोड़कर जाता था।
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