सार
राजस्थान के नागौर जिले में शनिवार को दिल दहला देने वाला बड़ा हादसा सामने आया है। दरअसल यहां नगर परिषद ने डंपिंग के लिए खड्ढे खुदवाए थे। जिनमें भरे पानी में डूबने से चार लोगों की मौत हो गई। इनके आसपास कोई सुरक्षा नहीं थी।
नागौर. राजस्थान के नागौर जिले में नगर परिषद की लापरवाही का बड़ा मामला सामने आया है। यहां नगर परिषद की लापरवाही से 4 बच्चों की एक गड्ढे में भरे पानी में डूबने से मौत हो गई। दरअसल नगर परिषद ने यह गड्डे शहर के कचरा डालने के लिए खुदवाए थे। लेकिन कोई भी सेफ्टी बाउंड्री वॉल न होने के चलते चारों बच्चे खेलने के लिए गए और करीब 5 फीट गहरे गड्ढे में डूबने से उनकी मौत हो गई।
कचरा डालने के लिए खुदवाएं थे गड्ढे
दरअसल नागौर शहर के पावर हाउस के पास नगर परिषद ने शहर का कचरा डालने के लिए एक मैदान में कई गड्डे बनाए हुए हैं। ऐसे में पास की ही एक बस्ती में रहने वाले चार बच्चे रामलाल, लिछमी,शिंभू और आरती खेलने के लिए मैदान में आए थे। ऐसे में उन्हें पता नहीं था कि गड्ढे गहरे हैं। चारों पानी में आकर चले गए। और डूबने के बाद उनकी मौत हो गई। चारों के शव को तैरता देख परिजनों ने इसकी सूचना पुलिस को दी। फिलहाल चारों के शव को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी नहीं भेजा गया है। घटना में मृत होने वाले चारों बच्चों की उम्र चार साल से कम है।
बच्चो की मौत का पता चलते ही मचा कोहराम
शनिवार की दोपहर हुए इस दर्दनाक हादसे के बाद पूरे इलाके में कोहराम मच गया। चारों बच्चों के माता-पिता घुमक्कड़ प्रजाति के हैं। जो नमक वगेरह भेज कर अपना जीवन यापन करते हैं। घटना के बाद अभी बस्ती के लोग बड़ी संख्या में हॉस्पिटल पहुंचे। इसके बाद शवों को परिजनों को सौंपा गया। मामले में परिजनों की मांग है कि उनको मुआवजा भी दिया जाए।
सुरक्षा के लिए नहीं बनी कोई बाउंड्री वॉल
राजस्थान के हर जिले में नगर परिषद ने शहर का कचरा डालने के लिए अस्थाई इंतजाम किए हुए हैं। कहीं शहर के बाहर बीहड़ इलाकों में डंपिंग यार्ड बनाया जाता है तो कहीं शहरों के बीच ही गड्ढे खोदकर नगर परिषद इन में शहर का कचरा डलवाती है। लेकिन मानसून के दौरान ऐसे स्थानों पर पानी भर जाता है। गंदगी होने के कारण यह भी पता नहीं चल पाता है कि पानी की गहराई कितनी है जिससे ऐसे हादसे होते हैं। वहीं दूसरी तरफ एक तरफ जहां राजस्थान सरकार तालाबों, कुंवों के संग्रहण की बात करती है। पूरे प्रदेश में 80 परसेंट से ज्यादा तालाबों और कुओं के पास कोई भी सेफ्टी बाउंड्री वॉल या अन्य कोई सुरक्षा नहीं की गई है। ऐसे में आए दिन ऐसे हादसे होते रहते हैं। इस इन मानसूनी सीजन में ही करीब एक दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत ऐसे हादसों के कारण ही हुई है। लेकिन इसके बाद भी सरकार ने कोई पुख्ता इंतजाम के बारे में नहीं सोचा है।
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