सार
यह मामला मंगलवार सुबह हनुमानगढ़ जिले के पीलीबंगा क्षेत्र का है। जहां कुछ संत लोगों के घर भीख मांगने के लिए पहुंचे हुए थे। पार्षद उनको बिना मास्क के देखते हुए उनपर चिल्लाने लगीं और मारपीट पर उतर आईं। पहले थप्पड़ मारे फिर इसके बाद डंडों से की पिटाई।
हमुमानगढ़ (राजस्थान). कोरोना का संक्रमण जिस रफ्तार से बढ़ रहा है उससे हर कोई चिंतित है। सरकार से लेकर अफसर तक लोगों को मास्क लगाने की अपील कर रहे हैं। लेकिन राजस्थान के हनुमानगढ़ में मास्क नहीं पहनने का कुछ अलग की सीन देखने को मिला। जहां कुछ संत-बाबा अपने चेहरे पर बिना मास्क लगाए लोगों को घरों से भिक्षा मांग रहे थे। जब वह इलाके की किन्नर पार्षद घर पहुंचे तो पार्षद उनको देखते ही पहले थप्पड़ जड़ा, फिर डंडे से पीटा। उसके बाद पूछा आपने कोई मास्क क्यों नहीं लगाया है। हैरानी की बात यह कि पार्षद महोदय ने भी कोई मास्क नहीं लगाया हुआ था। बस जबरन की राजनीति कर रहीं थीं।
दोनों संतो पर खूब धौंस जमाती रहीं किन्नर पार्षद
दरअसल, यह मामला मंगलवार सुबह हनुमानगढ़ जिले के पीलीबंगा क्षेत्र का है। जहां कुछ संत लोगों के घर भीख मांगने के लिए पहुंचे हुए थे। इसी दौरान वह वार्ड नंबर 35 की पार्षद पूनम महंत घर पहुंचे। इसके बाद पार्षद उनको बिना मास्क के देखते हुए उनपर चिल्लाने लगीं कि आपने मास्क क्यों नहीं लगाया है। क्या आपको पता नहीं है कि महामारी फैली हुई है। इसके बाद वह बाबाओं को मारने पर उतर आईं। वह काफी समय पर दोनों संतो पर खूब धौंस जमाती रहीं।
मीडिया के सवाल पर पार्षद नहीं दिया कोई जवाब
पार्षद का संतों के साथ मारपीट का वीडियो किसी ने चपुके से शूट कर लिया और सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया। जिसके बाद पार्षद सफाई देने लगीं, कहा कि दोनों अज्ञात हैं और वह बिना मास्क के घूम रहे थे, इसलिए उन्हें पकड़ लिया था। कुछ गलत न कर दें, इस शंका में उनको बैठा लिया था। इस दौरान छोटी मोटी झड़प भी हो गई। लेकिन जब मीडिया ने उनसे संतों को मारने और खुद के मास्क नहीं पहनने पर सवाल किया तो वह कोई जवाब नहीं पाईं।
सोशल मीडिया पर उड़ रहा मजाक
बता दें कि पूनम महंत कांग्रेस की टिकट पर जनवरी में ही पार्षद के लिए चुनी गईं हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा उनके इस वीडियो के बाद से राजनीतिक हलचल शुरू हो गई। लोग उनपर संतों का अपमान करने का आरोप लगा रहे हैं। किसी ने कहा कि पूनम ने खुद मास्क नहीं लगाया था और वह मास्क को लेकर दोनों संतों पर खूब धौंस जमा रही हैं। ऐसे लोगों को राजनीति में रहने का कोई अधिकार नहीं है।