सार
हरिशंकर को कई सालों पहले किडनी की समस्या हुई थी। जिसका इलाज कराने के लिए वो बूंदी से मुंबई गए थे। जहां के एक निजी अस्पताल में उनकी किडनी ट्रांसप्लांट की गई। इसके बाद डॉक्टरों ने उनको धूल और धुंए से बचने के लिए मास्क लगाने को कहा।
बूंदी (राजस्थान). जब तक कोरोना का कोई इलाज मिल नहीं जाता तब तक मास्क ही इस महामारी की पहली वैक्सीन है। केन्द्र और राज्य सरकारों ने भी इसे सभी को अनिवार्य रुप से लगाने को कहा है। लेकिन इसके बाद भी कुछ लोग लापरवाही बरतते हैं। इसी बीच राजस्थान के एक शख्स की अनोखी कहानी सामने आई है। जो पिछले 26 साल से अपने मुंह पर मास्क लगा रहा है। जो इस संकट के दौर में लोगों के लिए मिसाल बना हुआ है। अगर इस महामारी को मात देनी है तो हमको भी इसी तरह लगातार मास्क लगाना होगा।
बुजुर्ग ने मास्क को बनाया जिंदगी का अहम हिस्सा
दरअसल, इस बुजुर्ग शख्स का नाम हरिशंकर गुर्जर है जो बूंदी जिले के चमावली गांव के रहने वाले हैं। वह पिछले 26 बरसों से लगातार मास्क लगा रहे हैं। डॉक्टरों ने कुछ समय के लिए उनको मास्क लगाने को कहा था, लेकिन अब उनकी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है यह मास्क। जिसक वह भोजन करते वक्त ही निकालते हैं।
यह है मास्क लगाने के पीछे की कहानी
बता दें कि हरिशंकर को कई सालों पहले किडनी की समस्या हुई थी। जिसका इलाज कराने के लिए वो बूंदी से मुंबई गए थे। जहां के एक निजी अस्पताल में उनकी किडनी ट्रांसप्लांट की गई। इसके बाद डॉक्टरों ने उनको धूल और धुंए से बचने के लिए मास्क लगाने को कहा। बस डॉक्टरों की सलाह को उन्होंने पत्थर की लकीर मान लिया और मास्क को निरंतर लगाने लगे।
लाखों लोगों के लिए मिसाल बने बुजुर्ग
मीडिया से बात करते हुए हरिशंकर गुर्जर ने कहा कि मुझे शुरूआत में कुछ दिन तक अटपटा लगा था। लेकिन फिर मैंने सोचा कि मेरी जरा सी लापरवाही से जान तक जा सकती है। तो फिर मैंने ठान लिया जान है तो जहान, अब जब तक जिंदा रहूंगा चेहरे पर मास्क लगाऊंगा। फिर चाहे कुछ ही क्यों ना हो जाए इसको नहीं उतारूंगा। बुजुर्ग का यह संकल्प आज कोरोना कॉल में लाखों लोगों के लिए मिसाल बना हुआ है।