सार

भागमभाग वाली जिंदगी में युवा जरा-जरा सी बात पर तनाव में आ जाता है। कई तो इसके चलते जिंदगी खत्म करने तक का फैसला कर लेते हैं। इसी डिप्रेशन को कम करने के लिए दो दोस्तों ने एक अनूठी पहल की शुरूआत की है। वह डिप्रेशन फ्री यूथ और क्लीन इंडिया मुहिम लेकर कश्मीर से कन्याकुमारी तक की पैदल यात्रा पर निकले हैं। जहां वह हर शहर में जाकर यूथ को डिप्रेशन से बाहर निकलने सलाह देते हैं।

टोंक (राजस्थान). यूथ में बढ़ते डिप्रेशन को दूर करने के लिए दिल्ली के दो दोस्तों ने अनूठा अभियान शुरू किया किया है। दोनों दोस्त डिप्रेशन फ्री यूथ और क्लीन इंडिया मुहिम लेकर कश्मीर से कन्याकुमारी तक की पैदल यात्रा पर निकले हैं। जिसमें वे जगह जगह रुककर युवाओं को डिप्रेशन से मुक्त रहने के लिए जागरुक कर रहे हैं। अभियान के 69 वें दिन दोनों दोस्त राहुल राजपूत व राहुल सिंह राजस्थान के टोंक जिले में पहुंचे। जहां भी उन्होंने युवाओं को डिप्रेशन से फ्री रहने का संदेश दिया।

कभी टेंट चोरी हुआ तो कभी रहे भूखे
टोंक पहुंचे दोनों दोस्तों ने मीडिया से बातचीत में अपने अभियान के साथ इसमें आ रही कठिनाइयों के बारे में भी बताया। उन्होंने बताया कि कश्मीर से कन्या कुमारी तक के पैदल सफर में उन्हें काफी मुसीबतों का भी सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि सफर में कई बार ऐसा हुआ कि रास्ते में उनके लिए भोजन की व्यवस्था नहीं हो पाई। ऐसे में उन्हें भूखे ही रहना पड़ा। इसके अलावा पड़ाव डालने के लिए साथ लिए गए टैंट भी रास्ते में दो बार चोरी हो गए। लेकिन, इसके बाद भी उन्होंने होंसला नहीं खोया। देश के युवाओं को तनाव मुक्त रख राष्ट्र की मजबूती में हिस्सेदार बनाने के लिए उन्होंने मिशन को लगातार जारी रखा। 

चार हजार किलोमीटर की करेंगे यात्रा
देश के यूथ को तनाव मुक्ती का संदेश देने के लिए राहुल राजपूत व राहुल सिंह चार हजार किलोमीटर की पद यात्रा करेंगे। यह अपने आप में एक अनूठे मिशन के साथ अलग रेकॉर्ड भी होगा। राहुल ने बताया कि उन्होंने 7 मार्च को श्रीनगर से ये यात्रा शुरू की थी। जिसमें वे रोजाना 20 से 25 किमी की पद यात्रा रोजाना कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि करीब छह महीने में उनकी ये यात्रा पूरी हो जाएगी।

खुद के डिप्रेशन से मिला आइडिया
राहुल राज ने बताया कि पद यात्रा का आइडिया उन्हें खुद के डिप्रेशन से मिला। उन्होंने बताया कि एक दौर में वे खुद काफी डिप्रेशन में थे। जिससे निकलना काफी मुश्किल हो गया था। ऐसे में उन्होंने सोचा कि जब वो डिप्रेशन में है तो देश में ऐसे ओर कितने लोग इसका शिकार होंगे। लिहाजा अपने डिप्रेशन पर जीत हासिल कर दूसरों को भी उससे उबारने के लिए दोनों दोस्तों ने कश्मीर से कन्या कुमारी तक की पैदल यात्रा कर डिप्रेशन के खिलाफ युवाओं में अलख जगाने की योजना बनाई।