सार
26/11 हमले में सबसे यंग सर्वाइवर रहे बेबी मोशे अब 16 साल के हो चुके हैं। बेबी मोशे 26 नवंबर 2008 को आतंकी हमले के समय दो साल के थे और उनकी भारतीय आया सैंड्रा सैमुअल ने उन्हें आतंकवादियों से बचाया था।
रिलेशनशिप डेस्क.आज 26/11 मुंबई हमले (Mumbai Terror Attacks) की बरसी है। 14 साल पहले मुंबई आतंकी हमले की जिस दर्द से गुजरा उसकी याद आज भी सिहरन पैदा करती है। आज का दिन बेबी मोशे के लिए सबसे दर्दनाक दिन हैं। इजरायल के रहने वाले मोशे होल्ट्जबर्ग
दो साल के थे तब इस आतंकी हमले के शिकार हुए थे। उस वक्त उनका परिवार यहीं पर था। आतंकियों के कहर से वो तो बच गए लेकिन उनके माता-पिता रब्बी गैब्रिएल होल्ट्जबर्ग और रिवका होल्ट्जबर्ग मारे गए। जिसका दर्द आज भी उन्हें सताता है।
मोशे और सैंड्रा की तस्वीर ने दुनिया को आकर्षित किया
2 साल के मोशे अब 16 साल के हो गए हैं उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आतंकवाद से निपटने के रास्ते तलाशने की अपील की है।उन्होंने कहा कि उन पर जो गुजरी है, वह किसी पर न गुजरे। 26/11 हमलों के समय सबसे यंग सर्वाइवर थे वो। जब वो आतंकियों के बीच नरीमन हाउस में घिर गए थे तब उनकी जान उनकी भारतीय आया सैंड्रा सैमुअल ने बचाया था। मोशे को सीने से लगाए हुए सैंड्रा की तस्वीर ने पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया था।
जो मुझपर गुजरी वो किसी पर ना गुजरे
उनके माता-पिता मुंबई में चबाड आंदोलन के दूत थे। गुरुवार को, परिवार ने हिब्रू कैलेंडर के अनुसार यरूशलेम में एक कब्रिस्तान में अपने प्रियजनों की याद में प्रार्थना की। पीटीआई को मोशे के परिवार ने एक रिकॉर्डेड संदेश साझा किया। जिसमें मोशे अपनी दादी को सैंड्रा के साहस की कहानी सुनाते हुए सुने जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि कैसे सैंड्रा ने उसे बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल दी थी।उन्होंने अपने दादा-दादी रब्बी शिमोन और येहुदित रोसेनबर्ग के साथ इज़राइल में बड़े होने के बारे में भी बात की, जो उन्हें अपने बेटे के रूप में पाल रहे हैं।अंत में, मोशे एक गंभीर अपील करते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को कदम उठाना चाहिए ताकि "कोई भी उस दौर से न गुजरे जिससे मैं गुजरा हूं"।
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