सार

पूरी दुनिया में महिला को कमजोर माना जाता है। लेकिन इतिहास के पन्नों पर ऐसी कई महिलाओं के असाधारण ताकत का जिक्र किया गया है जिसने अपने दम पर पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया। हम आपको एक ऐसी रानी के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके ताकत के बारे में जानेंगे तो आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे।

रिलेशनशिप डेस्क. भारत के इतिहास में कई ताकतवर महिलाएं हुई। जिसमें रानी दुर्गावती,अहिल्याबाई होलकर,रानी लक्ष्मीबाई,कित्तूर चेन्नम्मा और रानी अवंतीबाई शामिल हैं। इनकी उपलब्धियों से इतिहास भरा हुआ है। लेकिन हम बात भारत की नहीं बल्कि अफ्रीका महाद्वी में स्थित एक छोटा सा देश अंगोला के रानी की करेंगे।  एक वक्त ऐसा था जब यहां एक महिला शासन करती थी।  इस महिला की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि उसने सत्ता हासिल करने के लिए अपने भाई को भी रास्ते से हटाने से चूकी नहीं थी। इतना ही नहीं वो अपने हरम में पुरुषों को रखती थी। उनके साथ वो जो खेल खेलती थी उसे जानकर कलेजा कांप जाएगा। उस रानी का नाम था एनजिंगा एमबांदी। रानी एनजिंगा अपने तेज दिमाग और बहादुरी के लिए दुनिया भर में फेमस थी। वो एक महान योद्धा थी।

यूरोपिय उपनिवेशवाद से लिया टक्कर 

इतिहास के पन्नों को पलटे तो उनसे जुड़ी कई कहानियां सामने आती हैं। रानी एनजिंगा 17वीं शताब्दी में यूरोपीय उपनेविशवाद को चुनौती दी थीं।  वो एमबांदू लोगों की रानी थी।जिनकी सत्ता एनदोंगो और मतांबा में फैली हुई थी। किमबांदी वहां की लोकल लॉग्वेज हुआ करती थी। इस भाषा के मुताबिक रानी एनजिंगा का नाम एनगोला था।

पुर्तगालियों उस क्षेत्र पर सोने और चांदी की तलाश में हमला किया करते थे।एनजिंगा के पिता किंग एमबांदी किलुंजी पुर्तगालियों के साथ लोहा लिए हुए थे। बचपन में ही वो पिता के साथ उनके खिलाफ युद्ध करती थी। 1617 में किंग एमबांदी किलुंजी  की मौत हो गई तो सत्ता उनके बेटे एनगोला एमबांदी ने संभाली। लेकिन उसमें पिता जैसा बल और बहन एनजिंगा जैसी बुद्धि नहीं थी। एनगोला को सत्ता जाने का डर सताने लगा। उसे लगा कि उनकी बहन की तरफ से उनके अपने ही उसके खिलाफ साजिश कर रहे हैं। इसी डर से उसने एक ऐसा कदम उठा लिया जिससे वो हमेशा के लिए बहन का दुश्मन बन गया। उसने एनजिंगा के बेटे को मौत की सजा दी। 

भाई ने मानी हार

लेकिन बाद में जब एनगोला यूरोपीय आक्रमणकारियों से अकेले सामना नहीं कर पाया तो उसने बहन के साथ सत्ता बांटने का फैसला किया। एनजिंगा ने पुर्तगाली भाषा सीखी थी। वो एक प्रतिभाशाली रणनीतिकार थी। पुर्तगालियों से बातचीत करने के लिए वो लुआंडा पहुंची। जहां पर उसने काले और गोरे में किए जाने वाले फर्क को देखा।इतिहासकारों ने इस मुलाकात का जो जिक्र किया है वो बेहद ही रोमांचकारी है।

एनजिंगा जब वहां पहुंची तो देखा कि पुर्तगाली आरामदायक कुर्सियों पर बैठे हुए हैं। जबकि उसके बैठने के लिए जमीन पर व्यवस्था की गई है। उसने कुछ नहीं कहा, लेकिन नजर के एक इशारे को देखकर उनका एक नौकर कुर्सी के अंदाज में बैठ गया एनजिंगा उसके पीठ पर बैठ गई। जिससे वो पुर्तगाली गवर्नर के बारबरी में पहुंच गई थी। उसने ऐसा करके ये बता दिया कि वो बराबरी के स्तर पर वार्ता करने आई हैं।

भाई की ली जान!

साल 1624 में एनजिंगा का भाई एक छोटे से द्वीप पर रहना लगा। जबकि पूरे देश की कमान इसके पास आ गई थी। द्वीप पर ही भाई की मौत हो गई। इसके पीछे भी कई कहानी है। कुछ लोग कहते हैं कि एनजिंगा ने अपने बेटे की हत्या का बदला लेने के लिए उसे जहर देकर मरवा दिया था।

सेक्स को लेकर काफी क्रूर थी रानी

एनजिंगा के हरम के बारे में भी कई तरह की कहानी लिखी गई है। एक किताब 'द फ़िलॉसोफ़ी ऑफ़ द ड्रेसिंग टेबल'में लिखा गया है कि उसके हरम में कई आशिक हुआ करते थे।उसके हरम को चिबदोस कहा जाता है। वहां पुरुषों को पहनने के लिए महिलाओं के कपड़े दिए जाते थे। जब रानी को अपने हरम में मौजूद किसी आदमी से सेक्स करना होता था तो इससे पहले एक खतरनाक गेम खेला जाता था। पुरुषों को आपस में मौत होने तक लड़ाया जाता था। जो जीतता था उसके साथ एनजिंगा सेक्स करती थी। इसके बाद उसे भी जलाकर मार दिया जाता था।

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