सार
26 दिसंबर, गुरुवार को सूर्यग्रहण होगा। ये ग्रहण भारत में अधिकतम स्थानों पर खंडग्रास सूर्यग्रहण के रूप में दिखाई देगा। दक्षिण भारत के कुछ स्थानों पर कंकणाकृति सूर्यग्रहण भी दिखाई देगा।
उज्जैन. सूर्य ग्रहण का सूतक काल ग्रहण से 12 घंटे पूर्व से माना जाता है। 25 दिसंबर की रात 8 बजे से ही सूतक काल शुरू हो जाएगा, जो ग्रहण के मोक्ष के साथ समाप्त होगा।
ग्रहण कब से कब तक?
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार भारत के अलावा ये ग्रहण एशिया के कुछ देश, अफ्रीका, आस्ट्रेलिया में भी दिखाई देगा। भारत में ग्रहण काल 2 घंटे 52 मिनट का रहेगा। सुबह 8.04 बजे से ग्रहण का आरंभ होकर सुबह 9.30 बजे मध्य काल और सुबह 10.56 बजे ग्रहण खत्म होगा।
ग्रहण से जुड़ी धार्मिक मान्यता
पं. शर्मा के अनुसार पुराने समय में समुद्र मंथन हुआ था। इसमें देवताओं और दानवों ने भागय लिया था। जब समुद्र मंथन से अमृत निकला तो इसके लिए देवताओं और दानवों के बीच युद्ध होने लगा। तब भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया और देवताओं को अमृतपान करवाया। उस समय राहु नाम का असुर ने भी देवताओं का वेश धारण करके अमृत पान कर लिया था। चंद्र और सूर्य ने राहु को पहचान लिया और भगवान विष्णु को बता दिया। विष्णुजी ने क्रोधित होकर राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया, क्योंकि राहु ने भी अमृत पी लिया था इस कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई। इस घटना के बाद राहु चंद्र और सूर्य से शत्रुता रखता है और समय-समय पर इन ग्रहों को ग्रसता है। इसी घटना को सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण कहते हैं।
कब होता है सूर्य ग्रहण?
जब पृथ्वी पर चंद्र की छाया पड़ती है, तब सूर्य ग्रहण होता है। इस दौरान सूर्य, चंद्र और पृथ्वी एक लाइन में आ जाते हैं। ग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक शुरू हो जाता है, लेकिन इस ग्रहण का सूतक भारत में नहीं रहेगा, क्योंकि यहां सूर्य ग्रहण दिखाई नहीं देगा।