गुजरात और राजस्थान की सीमा पर बनासकांठा जिले की दांता तालुका में स्थित अम्बाजी का मंदिर देवी का प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। माना जाता है कि यह मंदिर लगभग 1200 साल पुराना है।
धर्म शास्त्रों के अनुसार देवी शक्ति की उपासना नवरात्रि में पूरे विधि-विधान से की जाए तो सभी सुखों की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में विभिन्न प्रकार से देवी की पूजा के बारे में उल्लेख किया गया है।
शारदीय नवरात्रि के पांचवे दिन (3 अक्टूबर) स्कंदमाता की पूजा की जाती है। स्कंदमाता भक्तों को सुख-शांति प्रदान वाली हैं।
अर्जुन ने पूछा कि उसे अपनों के खिलाफ ही युद्ध लड़ने की जरूरत क्यों है। तब समय अर्जुन के सारथी बने भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को 700 श्लोक सुनाए जिन्हें हम आज श्रीमद् भग्वतगीता के नाम से जानते हैं।
जम्मू कश्मीर के उधमपुर जिले में कटरा से उत्तर पश्चिमी हिमालय के त्रिकूट पर्वत पर स्थित है वैष्णो देवी मंदिर।
नवरात्रि के नौ दिनों में सभी चाहते हैं कि माता की कृपा उन्हें प्राप्त हो। इसके लिए हर भक्त अपने तरीके से माता की आराधना करता है।
असम के गुवाहाटी में नीलांचल पर्वत पर स्थित है कामाख्या शक्तिपीठ। मान्यता है कि इस स्थान पर माता सती का योनि भाग गिरा था। इस मंदिर में देवी की कोई मूर्ति नहीं है, यहां पर देवी के योनि भाग की ही पूजा की जाती है।
नवरात्रि से जुड़ी अनेक परंपराएं है। उन्हीं में से एक है जवारे बोने की। नवरात्रि के पहले दिन मिट्टी के एक पात्र में जवारे के बीज बोए जाते हैं। नौ दिन में ये जवारे हरी पत्तियों के रूप में बदल जाते हैं।
शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन (2 अक्टूबर) की प्रमुख देवी मां कूष्मांडा हैं। मां दुर्गा के इस चतुर्थ रूप कूष्मांडा ने अपने उदर से अंड अर्थात ब्रह्मांड को उत्पन्न किया। इसी वजह से दुर्गा के इस स्वरूप का नाम कूष्मांडा पड़ा।
शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन (1 अक्टूबर) माता चंद्रघंटा को समर्पित है। यह शक्ति माता का शिवदूती स्वरूप है। इनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसी कारण इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता है।