भाद्रपद मास का तीसरा दिन विशेष फलदायी होता है, क्योंकि यह तिथि माता पार्वती को समर्पित है। इस दिन भगवान शंकर तथा माता पार्वती के मंदिर में जाकर उन्हें भोग लगाने तथा विधि-विधान पूर्वक पूजा करने की परंपरा है।
शनिदेव को धर्म ग्रंथों में न्यायाधीश माना जाता है, जो मनुष्य के अच्छे-बुरे कर्मों का प्रतिफल उसे देते हैं।
महाभारत के अनुसार, कुरुक्षेत्र वही स्थान है जिसे भरतवंश के राजा कुरु ने बार-बार जोता।
आज के समय में सबसे बड़ी समस्या परिवार में असामंजस्य होना है। रोज-रोज की कलह से बचने के लिए ज्योतिष शास्त्र में बताए गए हैं कुछ उपाय।
ज्योतिष के उपायों में सबसे अधिक असरदार उपाय है दान करना।
हिंदू पंचांग का छठा माह भाद्रपद इस बार 16 अगस्त, शुक्रवार से शुरू होगा। धर्म ग्रंथों में इस मास में कुछ नियमों का पालन करना अनिवार्य बताया गया है।
शिवपुराण के अनुसार शिव पूजा में शमी के पत्तों का विशेष महत्व है। ये पेड़ पूजनीय और पवित्र है।
त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने वानर जाति में हनुमान के रूप में अवतार लिया था।
सावन के अंतिम दिन किए गए उपाय, पूजा आदि से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।
इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा नहीं है, इसलिए पूरा दिन राधी बांधने के लिए शुभ रहेगा। श्रवण नक्षत्र में दिन की शुरुआत होगी, जो 8.30 तक रहेगा। इसके बाद धनिष्ठा नक्षत्र प्रारंभ हो जाएगा।