सार
Chitragupt Puja 2024: भगवान चित्रगुप्त हर प्राणी के अच्छे बुरे कर्मों का हिसाब रखते हैं। कार्तिक शुक्ल द्वितिया तिथि पर इनकी विशेष पूजा की जाती है। जानें इस बार कब करें चित्रगुप्त पूजा 2024?
Koun Hai Bhagwan Chitragupt: धर्म ग्रंथों के अनुसार, हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि को भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाती है। चित्रगुप्त यमराज के सहायक हैं। वैसे तो हर समाज के लोग इनकी पूजा करते हैं लेकिन कायस्थ समाज इन्हें अपना पितृ पुरुष मानता है। भगवान चित्रगुप्त ही हर प्राणी के अच्छे-बुरे कर्मों का हिसाब रखते हैं। आगे जानिए इस बार कब करें चित्रगुप्त पूजा 2024…
कब करें चित्रगुप्त पूजा 2024?
पंचांग के अनुसार, इस बार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि 02 नवंबर, शनिवार की रात 08 बजकर 22 मिनिट से शुरू होगी, जो 03 नवंबर, रविवार की रात 10 बजकर 05 मिनिट तक रहेगी। चूंकि द्वितिया तिथि का सूर्योदय 3 नवंबर को होगा, इसलिए इसी दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा का पर्व मनाया जाएगा।
चित्रगुप्त पूजा 2024 शुभ मुहूर्त (Chitragupt Puja 2024 Shubh Muhurat)
- सुबह 11:48 से दोपहर 12:32 तक
- दोपहर 01:10 से 03:22 तक
- शाम 05:43 से 07:20 तक
- शाम 07:20 से 08:57 तक
इस विधि से करें भगवान चित्रगुप्त की पूजा (Chitragupt Puja Vidhi)
- 3 नवंबर, रविवार को की सुबह स्नान आदि करने के बाद पूजा का संकल्प लें। ऊपर बताए गए किसी शुभ मुहूर्त में भगवान चित्रगुप्त की पूजा शुरू करें।
- घर में किसी स्थान पर साफ-सफाई करें। लकड़ी के पटिए पर लाल कपड़ा बिछाकर इस पर भगवान चित्रगुप्त की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें।
- भगवान चित्रगुप्त को तिलक लगाएं-हार-फूल चढ़ाएं। दीपक लगाएं। इसके बाद एक-एक करके अन्य पूजन सामग्री भी चढ़ाएं।
- लिखने के काम वाली चीजें जैसे पेन की भी पूजा करें। सफेद कागज पर श्री गणेशाय नम: और 11 बार ओम चित्रगुप्ताय नमः लिखें।
- पूजा के बाद आरती करें। मान्यता है कि इस तरह भगवान चित्रगुप्त की पूजा करने से नरक की यातनाओं से मुक्ति मिलती है।
भगवान श्री चित्रगुप्त जी की आरती
ॐ जय चित्रगुप्त हरे, स्वामीजय चित्रगुप्त हरे ।
भक्तजनों के इच्छित, फलको पूर्ण करे॥
विघ्न विनाशक मंगलकर्ता, सन्तनसुखदायी ।
भक्तों के प्रतिपालक, त्रिभुवनयश छायी ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
रूप चतुर्भुज, श्यामल मूरत, पीताम्बरराजै ।
मातु इरावती, दक्षिणा, वामअंग साजै ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
कष्ट निवारक, दुष्ट संहारक, प्रभुअंतर्यामी ।
सृष्टि सम्हारन, जन दु:ख हारन, प्रकटभये स्वामी ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
कलम, दवात, शंख, पत्रिका, करमें अति सोहै ।
वैजयन्ती वनमाला, त्रिभुवनमन मोहै ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
विश्व न्याय का कार्य सम्भाला, ब्रम्हाहर्षाये ।
कोटि कोटि देवता तुम्हारे, चरणनमें धाये ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
नृप सुदास अरू भीष्म पितामह, यादतुम्हें कीन्हा ।
वेग, विलम्ब न कीन्हौं, इच्छितफल दीन्हा ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
दारा, सुत, भगिनी, सबअपने स्वास्थ के कर्ता ।
जाऊँ कहाँ शरण में किसकी, तुमतज मैं भर्ता ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
बन्धु, पिता तुम स्वामी, शरणगहूँ किसकी ।
तुम बिन और न दूजा, आसकरूँ जिसकी ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
जो जन चित्रगुप्त जी की आरती,
प्रेम सहित गावैं । चौरासी से निश्चित छूटैं, इच्छित फल पावैं ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
न्यायाधीश बैंकुंठ निवासी, पापपुण्य लिखते ।
'नानक' शरण तिहारे, आसन दूजी करते ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे,
स्वामीजय चित्रगुप्त हरे ।
भक्तजनों के इच्छित,
फल को पूर्ण करे ॥
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