सार
Bhai Dooj 2024: दिवाली उत्सव के अंतिम यानी पांचवें दिन भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। ये पर्व भाई-बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक है। इससे जुड़ी कईं कथाएं भी धर्म ग्रंथों में मिलती है।
Bhai Dooj 2024 Details: हर साल दीपावली उत्सव के अंतिम दिन यानी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। धर्म ग्रंथों में इस पर्व के और भी कईं नाम बताए गए हैं जैसे- भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया आदि। ये पर्व भाई बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक है। इस दिन बहन अपने भाई को घर बुलाकर भोजन करवाती है और तिलक करती है। आगे जानिए इस बार कब है भाई दूज, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि आदि पूरी डिटेल…
कब है भाई दूज 2024? (Kab hai Bhai Dooj 2024)
पंचांग के अनुसार, इस बार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि 02 नवंबर, शनिवार की रात 08:22 से 03 नवंबर, रविवार की रात 10:05 तक रहेगी। चूंकि द्वितिया तिथि का सूर्योदय 3 नवंबर को होगा, इसलिए इसी दिन भाई दूज का पर्व मनाया जाएगा।
भाई दूज 2024 का शुभ मुहूर्त (Bhai Dooj 2024 Shubh Muhurat)
भाई दूज पर बहन भाइयों को घर बुलाकर भोजन करवाती हैं और तिलक लगाकर उनकी सुख की कामना करती हैं। भाई दूज पर तिलक का शुभ मुहूर्त इस प्रकार है-
- सुबह 11:48 से दोपहर 12:32 तक
- दोपहर 01:10 से 03:22 तक
- शाम 05:43 से 07:20 तक
- शाम 07:20 से 08:57 तक
भाई दूज की पूजा विधि (Bhai Dooj 2024 Puja Vidhi)
- 3 नवंबर, रविवार की सुबह स्नान आदि करने के बाद यमराज को नमस्कार करें। बहन अपने भाई को घर आने के लिए प्रेम से निमंत्रण दें।
- शाम को शुभ मुहूर्त में यमराज, चित्रगुप्त और यमदूतों की पूजा कर जल से अर्घ्य दें। इसके बाद भाई को भोजन करवाएं।
- इसके बाद भाई के मस्तक पर कुमकुम से तिलक करें, चावल लगाएं। भाई के हाथ में नारियल रखें और मुंह मीठा करवाएं।
- बहनें अपने भाई की सुख-समृद्धि के लिए भगवान से प्रार्थना करें। भाई अपनी बहन को अपनी इच्छा अनुसार उपहार दें।
- मान्यता है कि भाई दूज पर बहन के घर भोजन करने से भाई की उम्र बढ़ती है और उसके जीवन के कष्ट भी दूर होते हैं।
क्यों मनाते हैं भाई दूज? जानें कथा (Bhai Dooj ki Katha)
पुराणों के अनुसार, एक बार यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने धरती पर आए। उस दिन कार्तिक शुक्ल द्वितिया तिथि थी। भाई को घर आया देखकर यमुना ने उनका बहुत आदर सत्कार किया और अपने हाथों से भोजन बनाकर उन्हें खिलाया। साथ ही तिलक भी लगाया। बहन का प्रेम देखकर यमराज ने कहा ‘जो भी कार्तिक शुक्ल द्वितिया तिथि पर अपनी बहन के घर भोजन करेगा उसकी अकाल मृत्यु नहीं होगी।’ तभी से भाई दूज मनाने की परंपरा चली आ रही है।
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