सार
Durga Saptshati Mantra: इस बार चैत्र नवरात्रि का पर्व 30 मार्च, गुरुवार तक मनाया जाएगा। इस दौरान देवी मंत्रों का जाप करना शुभ माना जाता है। कुछ खास मंत्रों का जाप किया जाए तो हर दुख-परेशानी दूर हो सकती है, साथ ही मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं।
इस बार चैत्र नवरात्रि (chaitra navratri 2023) का पर्व 22 मार्च से शुरू हो चुका है जो 30 मार्च तक मनाया जाएगा। इस दौरान रोज देवी के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाएगी। देवी को प्रसन्न करने के लिए कई उपाय भी नवरात्रि में किए जाते हैं। देवी को प्रसन्न करने का सबसे आसान उपाय है मंत्रों का जाप। मनोकामना सिद्धि के लिए दुर्गा सप्तशती (Durga Saptshati Mantra) में अनेक मंत्र बताए गए हैं। इन मंत्रों का जाप विधि-विधान से यदि नवरात्रि में किया जाए तो शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। आगे जानिए इन मंत्रों और इनसे जुड़ी खास बातें…
रक्षा के लिए
शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके।
घण्टास्वनेन न: पाहि चापज्यानि:स्वनेन च।।
बाधा शांति के लिए
सर्वाबाधाप्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि।
एवमेव त्वया कार्यमस्मद्वरिविनासनम्।।
सामूहिक कल्याण के लिए मंत्र
देव्या यया ततमिदं जगदात्मशक्त्या
निश्शेषदेवगणशक्तिसमूहमूत्र्या।
तामम्बिकामखिलदेवमहर्षिपूज्यां
भकत्या नता: स्म विदधातु शुभानि सा न: ।।
भय नाश के लिए
यस्या: प्रभावमतुलं भगवाननन्तो
ब्रह्मा हरश्च न हि वक्तुमलं बलं च।
सा चण्डिकाखिलजगत्परिपालनाय
नाशाय चाशुभभयस्य मतिं करोतु।।
रोग नाश के लिए
रोगानशेषानपहंसि तुष्टा
रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान् ।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां
त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति।।
विपत्ति नाश के लिए मंत्र
देवि प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद
प्रसीद मातर्जगतोखिलस्य।
प्रसीद विश्वेश्वरी पाहि विश्वं
त्वमीश्वरी देवि चराचरस्य।।
इस विधि से करें दुर्गा सप्तशती मंत्रों का जाप
1. दुर्गा सप्तशती मंत्र जाप से पहले किसी साफ स्थान पर देवी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। इसके बाद फूल माला चढ़ाएं, कुमकुम से तिलक लगाएं।
2. शुद्ध घी का दीपक जलाएं। ये दीपक मंत्र जाप के दौरान जलते रहना चाहिए। इसके बाद अन्य चीजें जैसे अबीर, गुलाल, रोली, मेहंदी आदि चीजें चढ़ाएं।
3. इसके बाद कुशा (एक प्रकार की घास) के आसन पर बैठकर लाल चंदन के मोतियों की माला से इन मंत्रों का जाप करें।
4. आपकी जो मनोकामना है, उसी के अनुसार मंत्र का जाप करें। ध्यान रखें कि जाप का समय, स्थान, आसन, तथा माला एक ही हो।
5. अगर आप स्वयं ये काम करने में सक्षम न हो तो किसी योग्य ब्राह्मण से भी ये काम करवा सकते हैं। इसका फल भी आपको प्राप्त होगा।
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