सार

Gayatri Jayanti 2024 Date: इस बार गायत्री जयंती का पर्व 16 जून, रविवार को मनाया जाएगा। देवी गायत्री को वेदों की माता भी कहा जाता है। गायत्री मंत्र का महत्व अनेक धर्म ग्रंथों में बताया गया है। इसके जाप से हर इच्छा पूरी हो सकती है।

 


Gayatri Mantra Ke Fayde: हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गायत्री जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 16 जून, रविवार को मनाया जाएगा। मान्यता है कि इसी तिथि पर वेदमाता गायत्री प्रकट हुईं थीं। गायत्री मंत्र को महामंत्र भी कहा जाता है। कहते हैं कि इसका जाप करने से हर तरह की परेशानी दूर हो सकती है। मूल गायत्री मंत्र तो 1 ही है, लेकिन विभिन्न देवताओं की स्तुति करने के लिए विद्वानों ने अलग-अलग गायत्री मंत्रों की रचना भी की है। गायत्री मंत्र से इन देवी-देवताओं की पूजा की जाए तो बहुत ही जल्दी शुभ फलों की प्राप्ति संभव है। आगे जानिए किस देवी-देवता को प्रसन्न करने के लिए कौन-से गायत्री मंत्र का जाप करें…

1. विष्णु-गायत्री मंत्र
ऊँ नारायणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात।।

2. लक्ष्मी-गायत्री मंत्र
ऊँ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे, विष्णु पत्न्यै च धीमहि। तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ।।

3. शिव-गायत्री मंत्र
ऊँ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्।।

4. शनि-गायत्री मंत्र
ऊँ भगभवाय विद्महे, मृत्युरूपाय धीमहि। तन्नो सौरी: प्रचोदयात।।

5. गणेश-गायत्री मंत्र
ऊँ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि। तन्नो दन्ती प्रचोदयात्।।

6. श्रीकृष्ण-गायत्री मंत्र
ऊँ देवकीनन्दनाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि। तन्नो कृष्ण: प्रचोदयात्।।

7. सरस्वती गायत्री मंत्र
ऊँ सरस्वत्यै विद्महे ब्रह्मपुत्र्यै धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्।।

8. दुर्गा-गायत्री मंत्र
ऊँ गिरिजायै विद्महे शिवप्रियायै धीमहि। तन्नो दुर्गा प्रचोदयात्।

9. हनुमान-गायत्री मंत्र
ऊँ आंजनेयाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि। तन्नो मारुति: प्रचोदयात्।।

10. सूर्य-गायत्री मंत्र
ऊँ आदित्याय विद्महे, सहस्त्रकिरणाय धीमहि। तन्नो सूर्य: प्रचोदयात्।।

11. तुलसी-गायत्री मंत्र
ऊँ श्रीतुलस्यै विद्महे विष्णुप्रियायै धीमहि। तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।

कैसे करें मंत्र जाप?
जिस भी देवी-देवता को आप प्रसन्न करना चाहते हैं, उसकी प्रतिमा या चित्र के सामने बैठकर उससे संबंधित गायत्री मंत्र का जाप करें। मंत्र जाप के लिए तुलसी की माला का उपयोग कर सकते हैं। आसन पर बैठकर ही मंत्र जाप करें तो बेहतर रहेगा। मंत्र जाप के दौरान गाय के शुद्ध का दीपक जलते रहना चाहिए।


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