सार

Govardhan Puja 2023: दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इस बार गोवर्धन पूजा 14 नवंबर, मंगलवार को है। गोवर्धन पर्वत से कईं सारी मान्यताएं जुड़ी हुई हैं।

 

Govardhan Puja 2023 Beliefs: उत्तर प्रदेश के बज्रमंडल में स्थित गोवर्धन पर्वत का विशेष धार्मिक महत्व है। धर्म ग्रंथों में इसे साक्षात भगवान श्रीकृष्ण का ही स्वरूप माना गया है। दिवाली के दूसरे दिन पूरे देश में गोवर्धन पूजा विशेष रूप से की जाती है। इस बार ये पूजा 14 नवंबर, मंगलवार को है। इस मौके पर हजारों भक्त गोवर्धन पर्वत के दर्शन और परिक्रमा करने पहुंचते हैं। गोवर्धन पर्वत से कईं मान्यताएं जुड़ी हैं। आज आप आपको ऐसी ही एक मान्यता के बारे में बता रहे हैं…

गोवर्धन पर्वत के पत्थर ले जाना महापाप
गोवर्धन पर्वत बहुत विशाल है और कईं किलोमीटर में फैला हुआ है। गोवर्धन पर्वत का हर पत्थर पूजनीय है तो क्या इसके कुछ हिस्से को घर ले जाकर इसकी पूजा नहीं की जा सकती? ये प्रश्न बहुत से लोगों के मन में आता होगा, लेकिन धर्म ग्रंथों में इसे महापाप बताया गया है। विद्वानों के अनुसार, किसी समय गोवर्धन पर्वत 84 कोस में फैला हुआ था। आज भी गोवर्धन पर्वत के इसकी सीमा से बाहर नहीं ले जाया जा सकता है। अगर कोई ऐसा करता है तो उसकी सुख-संपत्ति नष्ट हो सकती है।

सोना रखकर ले जा सकते हैं
कुछ विद्वानों का ये भी मानना है कि यदि आप गोवर्धन पर्वत के पत्थर को घर लेकर पूजना चाहते हैं तो इसके लिए आपको उस पत्थर के वजन जितना सोना यहां चढ़ाना पड़ेगा। इसके बाद ही आप गोवर्धन को अंश यहां से ले जा सकते हैं। हालांकि कुछ विद्वान इसे बात से भी सहमत नहीं है।

कलयुग का संकेत भी देगा गोवर्धन पर्वत
धर्म ग्रंथों के अनुसार, किसी समय गोवर्धन पर्वत बहुत विशाल हुआ करता था। जैसे ही कलयुग का आरंभ हुआ, इसकी ऊंचाई धीरे-धीरे कम होने लगी। जिस दिन गोवर्धन पर्वत पूरी तरह से धरती से सट जाएगा यानी खत्म हो जाएगा, उस दिन से कलयुग अपना असली रूप दिखाना शुरू कर देगा यानी कलयुग अपने चरम काल पर पहुंच जाएगा।


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