JitiyaVrat 2025: जितिया व्रत से पहले मछली खाने की परंपरा को माछ-भात कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे पावर और एनर्जी मिलती है और व्रत सफल होता है। मछली को शुभता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। वहीं, शाकाहारी महिलाएं मछली की जगह नोनी साग खाती हैं।

Why fish is Eaten Before Jitiya: जितिया व्रत, जिसे जीवित्पुत्रिका व्रत भी कहा जाता है, एक बहुत ही महत्वपूर्ण व्रत है, जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में माताएं अपनी संतान की लंबी आयु और सुख समृद्धि के लिए रखती हैं। इस व्रत से कई सांस्कृतिक परंपराएं जुड़ी हैं, जिनमें से एक है जितिया से एक दिन पहले मछली खाने की परंपरा। लेकिन अब सवाल यह है कि जितिया से एक दिन पहले मछली क्यों खाई जाती है? इसका जवाब आपको यहां मिलेगा। साथ ही, यहां बताया गया है कि शाकाहारी महिलाएं क्या खाती हैं।

जितिया से पहले मछली क्यों खाई जाती है?

  • जितिया व्रत से एक दिन पहले मछली खाने की परंपरा है, जिसे स्थानीय भाषा में 'माछ-भात खाए के उपवास करे के' कहा जाता है। मछली खाने के तीन मुख्य कारण हैं-
  • ऐसा माना जाता है कि व्रत से पहले मछली खाने से कठिन तपस्या के आने वाले दिन के लिए शक्ति और सहनशक्ति मिलती है, साथ ही यह पीढ़ियों से चली आ रही सदियों पुरानी परंपराओं का सम्मान भी करता है। ऐसा माना जाता है कि अगर व्रत से पहले माछ-भात न खाया जाए, तो व्रत का पूरा फल नहीं मिलता।
  • कई समुदायों में मछली को शुभता, समृद्धि और उर्वरता का प्रतीक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि मछली खाने से व्रत के दौरान शरीर मज़बूत रहता है और व्रत सफल होता है।

  • जितिया व्रत में माताएं निर्जल व्रत रखती हैं, जो कठिन माना जाता है। इसलिए व्रत से एक दिन पहले पौष्टिक और ऊर्जा देने वाला भोजन खाया जाता है, जिसमें मछली (प्रोटीन स्रोत) और चावल (कार्बोहाइड्रेट स्रोत) शामिल होते हैं।

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जितिया व्रत से पहले कब खाया जाता है माछ-भात?

अष्टमी तिथि की रात, यानी व्रत शुरू होने से एक दिन पहले, रात का भोजन माछ-भात (मछली-चावल) होता है। इसके बाद, अगली सुबह से माताएँ निर्जल व्रत रखती हैं और अगले दिन व्रत तोड़ती हैं।

जितिया व्रत में शाकाहारी महिलाएं क्या खाती हैं?

शाकाहारी महिलाओं के लिए कर्मी का साग और नोनी का साग मछली के समान माना जाता है। ऐसे में मछली की जगह नोनी का साग खाया जाता है।

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