सार
Chitragupt Puja 2023: दिवाली के बाद भाई दूज पर भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाती है। वैसे तो ये पर्व पूरे देश में मनाया जाता है, लेकिन कायस्थ समाज के लोग इस पर्व को विशेष रूप से मनाते हैं।
Koun Hai Bhagwan Chitragupt: धर्म ग्रंथों में यमराज के साथ उनके सहयोगी चित्रगुप्त के बारे में भी बताया गया है। चित्रगुप्त ही मनुष्यों के अच्छे-बुरे कर्मों का हिसाब रखते हैं और यमराज को इसके बारे में बताते हैं। कार्तिक शुक्ल द्वितिया तिथि यानी भाई दूज पर भगवान चित्रगुप्त की पूजा करने का विधान है। इस बार ये तिथि 15 नवंबर, बुधवार को है। आगे जानिए चित्रगुप्त भगवान की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त व अन्य खास बातें…
चित्रगुप्त पूजा का शुभ मुहूर्त (Chitragupt Puja 2023 Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, इस बार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि 14 नवंबर, मंगलवार की दोपहर 02:36 से शुरू होगी, जो अगले दिन यानी 15 नवंबर, बुधवार की दोपहर 01:47 तक रहेगी। चूंकि द्वितिया तिथि का सूर्योदय 15 नवंबर को होगा, इसलिए इसी दिन चित्र गुप्त पूजा की जाएगी। पूजा के शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं-
- सुबह 10:49 से दोपहर 12:11 तक
- दोपहर 02:54 से 04:16 तक
- दोपहर 04:16 से 05:38 तक
इस विधि से करें भगवान चित्रगुप्त की पूजा (Chitragupt Puja Vidhi)
- 15 नवंबर को ऊपर बताए गए किसी एक शुभ मुहूर्त में भगवान चित्रगुप्त की पूजा के लिए तैयारी करके रख लें। पूजा के पहले स्नान आदि करके शुद्ध हो जाएं।
- घर में किसी साफ स्थान पर बाजोट यानी पटिए पर लाल बिछाकर उसके ऊपर भगवान चित्रगुप्त की तस्वीर या प्रतिमा रखें रखें।
- सबसे पहले तिलक लगाएं और हार-फूल चढ़ाएं। शुद्ध घी का दीपक भी लगाएं। इसके बाद एक-एक करके अन्य पूजन सामग्री भी चढ़ाते रहें।
- एक नया पेन भी भगवान चित्रगुप्त के सामने रखें। इसकी भी पूजा करें। सफेद कागज पर श्री गणेशाय नम: और 11 बार ओम चित्रगुप्ताय नमः लिखे।
- पूजा के बाद भगवान चित्रगुप्त की आरती करें। इस तरह पूजा के फल स्वरुप नरक की यातनाओं से मुक्ति मिलती है तथा सभी पाप नष्ट होते हैं।
भगवान श्री चित्रगुप्त जी की आरती
ॐ जय चित्रगुप्त हरे, स्वामीजय चित्रगुप्त हरे ।
भक्तजनों के इच्छित, फलको पूर्ण करे॥
विघ्न विनाशक मंगलकर्ता, सन्तनसुखदायी ।
भक्तों के प्रतिपालक, त्रिभुवनयश छायी ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
रूप चतुर्भुज, श्यामल मूरत, पीताम्बरराजै ।
मातु इरावती, दक्षिणा, वामअंग साजै ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
कष्ट निवारक, दुष्ट संहारक, प्रभुअंतर्यामी ।
सृष्टि सम्हारन, जन दु:ख हारन, प्रकटभये स्वामी ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
कलम, दवात, शंख, पत्रिका, करमें अति सोहै ।
वैजयन्ती वनमाला, त्रिभुवनमन मोहै ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
विश्व न्याय का कार्य सम्भाला, ब्रम्हाहर्षाये ।
कोटि कोटि देवता तुम्हारे, चरणनमें धाये ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
नृप सुदास अरू भीष्म पितामह, यादतुम्हें कीन्हा ।
वेग, विलम्ब न कीन्हौं, इच्छितफल दीन्हा ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
दारा, सुत, भगिनी, सबअपने स्वास्थ के कर्ता ।
जाऊँ कहाँ शरण में किसकी, तुमतज मैं भर्ता ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
बन्धु, पिता तुम स्वामी, शरणगहूँ किसकी ।
तुम बिन और न दूजा, आसकरूँ जिसकी ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
जो जन चित्रगुप्त जी की आरती,
प्रेम सहित गावैं । चौरासी से निश्चित छूटैं, इच्छित फल पावैं ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
न्यायाधीश बैंकुंठ निवासी, पापपुण्य लिखते ।
'नानक' शरण तिहारे, आसन दूजी करते ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे,
स्वामीजय चित्रगुप्त हरे ।
भक्तजनों के इच्छित,
फलको पूर्ण करे ॥
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