सार
Hanuman Ashtami 2024 Shubh Muhurat:इस बार 4 जनवरी, गुरुवार को हनुमान अष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। वैसे तो ये पर्व पूरे देश में मनाया जाता है, लेकिन मध्य प्रदेश के मालवा प्रांत में इसका विशेष महत्व है। इस दिन हनुमानजी की विशेष पूजा की जाती है।
Hanuman Ashtami 2024 Kab Hai: धर्म ग्रंथों के अनुसार, जब हनुमान ने पाताल में जाकर अहिरावण का वध किया तो वे पहुत थक गए। अपनी थकान मिटाने के लिए उन्होंने पृथ्वी के नाभि केंद्र कहे जाने वाले उज्जैन में आकर विश्राम किया। उस दिन पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि थी। तभी से इस तिथि पर हनुमान अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 4 जनवरी, गुरुवार को है। इस दिन हनुमानजी की पूजा कैसे करें, शुभ मुहूर्त आदि की जानकारी इस प्रकार है…
हनुमान अष्टमी के शुभ मुहूर्त (Hanuman Ashtami 2024 Shubh Muhurat)
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, 4 जनवरी, गुरुवार को पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पूरे दिन रहेगी। इस दिन चर और सुकर्मा नाम के 2 योग दिन भर रहेंगे। इस दिन पूजा के मुहूर्त इस प्रकार रहेंगे-
- सुबह 11:11 से दोपहर 12:31 तक
- दोपहर 12:10 से 12:52 तक (अभिजीत मुहूर्त)
- दोपहर 13:51 से 03:10 PM
- शाम 05:49 से 07:30 तक
इस विधि से करें हनुमानजी की पूजा (Hanuman Ashtami 2024 Puja Vidhi)
- हनुमान अष्टमी की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। घर में किसी साफ स्थान पर बाजोट के ऊपर लाल कपड़ा बिछाकर इसके ऊपर हनुमानजी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- सबसे पहले हनुमानजी की प्रतिमा पर तिलक लगाएं और फूल माला अर्पित करें। इसके बाद शुद्ध घी का दीपक भी जलाएं। अब एक-एक करके अबीर, गुलाल, सिंदूर आदि चीजें हनुमानजी को चढ़ाते रहें।
- केले या पान के पत्ते के ऊपर मिठाई रखकर हनुमानजी को भोग लगाएं। लौंग-इलाइचीयुक्त पान भी चढ़ाएं। अंत में आरती करें। इस तरह हनुमानजी की पूजा करने से आपकी हर मनोकामना पूरी हो सकती है।
ये है हनुमानजी की आरती (Hanuman Aarti Lyrics in Hindi)
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
जाके बल से गिरवर काँपे। रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई। संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
दे वीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारि सिया सुधि लाये ॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की॥
लंका जारि असुर संहारे। सियाराम जी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे। लाये संजिवन प्राण उबारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
पैठि पताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखारे ॥
बाईं भुजा असुर दल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें। जय जय जय हनुमान उचारें ॥
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
जो हनुमानजी की आरती गावे। बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥
लंक विध्वंस किये रघुराई। तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
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