सार

Ayudha Puja 2023: नवरात्रि के अंतिम दिन हमारे देश में कईं तरह की परंपराएं निभाई जाती हैं। आयुध पूजा भी इनमें से एक है। इस परंपरा के अतंर्गत लोग अपने काम में आने वाले उपकरणों और वाहनों की पूजा करते हैं।

 

Ayudha Puja 2023 Detail: शारदीय नवरात्रि की नवमी तिथि पर देश के कईं हिस्सों में आयुध पूजा करने की परंपरा है। इस बार आयुध पूजा 23 अक्टूबर, सोमवार को की जाएगी। आयुध पूजा की परंपरा मुख्य रूप से दक्षिण भारत के कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में निभाई जाती है। इस दिन क्षत्रिय अपने शस्त्रों की, शिल्पकार अपने औजारों की पूजा करते हैं। जो लोग वाहन संबंधित काम करते हैं वो अपने वाहनों की पूजा करते हैं। आगे जानिए आयुध पूजा से जुड़ी खास बातें...

आयुध पूजा के शुभ मुहूर्त (Ayudha Puja 2023 Shubh Muhurat)
- सुबह 09:16 से 10:41 तक
- दोपहर 01:58 से 02:43 तक (श्रेष्ठ मुहूर्त)
- दोपहर 02:55 से शाम 04:19 तक
- शाम 04:19 से 05:44 तक

कैसे करें आयुध पूजा? (Ayudha Puja 2023 Ki Vidhi)
- आयुध पूजा से पहले स्नान आदि करके शुद्ध हो जाएं और साफ वस्त्र पहनें।
- आप जिस भी उपकरण से अपना जीवन यापन करते हैं, उसकी पूजा करें।
- सबसे पहले अपने उपकरण को कुमकुम का तिलक लगाएं।
- उस पर फूल चढ़ाएं और मौली (पूजा का धागा) बांधें।
- हाथ जोड़कर उन उपकरणों को धन्यवाद दें।
- अंत में उन उपकरणों की आरती करें।
- इस तरह आयुध पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

क्यों की जाती है आयुध पूजा? (Kyo Karte hai Ayudha Puja)
पौराणिक कथाओं के अनुसार, महिषासुर नाम का एक अति भंयकर दैत्य था। उसका तीनों लोकों में आतंक था। जब उसने स्वर्ग पर अधिकार कर लिया तो सभी देवताओं ने मिलकर मां शक्ति का आवाहन किया जिससे देवी दुर्गा प्रकट हुईं। देवी को देवताओं ने अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए। इन्हीं शस्त्रों की सहायता से देवी ने महिषासुर का वध किया। इस दिन आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि थी। इस युद्ध में शस्त्रों ने काफी अहम भूमिका निभाई थी, जिनके बल पर देवी ने अधर्म पर विजय प्राप्त की। अस्त्रों के महत्व को समझते हुए ही विजयादशमी पर आयुध पूजा की परंपरा बनाई गई।

 

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