सार
Somvati Amawasya Ki Katha: इस बार 17 जुलाई, सोमवार को सावन अमावस्या का संयोग बन रहा है। इसे हरियाली अमवस्या कहते हैं। चूंकि ये अमावस्या सोमवार को रहेगी, इसलिए इसे सोमवती अमावस्या भी कहेंगे। सावन में सोमवती अमावस्या का संयोग सालों में एक बार बनता है।
उज्जैन. 17 जुलाई, सोमवार को श्रावण मास की अमावस्या है। इसे हरियाली अमावस्या (Hariyali Amawasya Ki Katha) कहते हैं। सोमवार को अमावस्या होने से ये सोमवती अमावस्या (Somvati Amawasya Ki Katha) भी कहलाएगी। सावन में सोमवती अमावस्या का संयोग बहुत शुभ माना जाता है। इसके पहले साल 2020 में सावन में सोमवती अमावस्या का संयोग बना है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान और गरीबों को दान करने का विशेष महत्व है। इस दिन शिवजी की पूजा भी की जाती है। सोमवती अमावस्या से जुड़ी एक कथा भी है, जो इस दिन जरूर सुनना चाहिए। आगे जानिए सोमवती अमावस्या की ये कथा…
ये है सोमवती अमावस्या की कथा
प्रचलित कथा के अनुसार, किसी शहर में एक गरीब ब्राह्मण परिवार रहता था। परिवार में पति-पत्नी और एक पुत्री थी। पुत्री बहुत ही सुंदर और सुशील थी, लेकिन गरीब होने के कारण उसका विवाह नहीं हो पा रहा था। एक दिन उनके घर एक महात्मा आए। वे उस लड़की की सेवा से बहुत प्रसन्न हुए।
महात्मा को प्रसन्न देखकर ब्राह्मण ने अपनी परेशानी उन्हें बताई। महात्मा ने लड़की हाथ देखकर बोला कि ‘इस कन्या के हाथ में तो विवाह की रेखा ही नहीं है।’ महात्मा की बात सुनकर ब्राह्मण पति-पत्नी बहुत दुखी हुए और उनसे इस समस्या के समाधान का उपाय पूछा।
महात्मा ने उन्हें बताया कि ‘पास के गांव में सोना नामकी एक धोबिन रहती है, वो बहुत पतिव्रता है। यदि आपकी कन्या उस धोबिन को किसी तरह प्रसन्न कर ले और उसकी मांग का सिंदूर प्राप्त कर ले तो इसका विवाह हो सकता है।’ ये उपाय बताकर महात्मा वहां से चले गए।
ब्राह्मण दंपत्ति ने जब ये बात अपनी कन्या को बताई तो वह अगले ही दिन सोना धोबिन के घर पहुंच गई। लड़की पूरे दिन धोबिन के घर का पूरा काम करती और शाम को अपने घर लौट आती। उसकी सेवा से सोना धोबिन बहुत खुश हो गई और एक दिन उसकी मनोकामना पूछी।
ब्राह्मण कन्या ने अपने मन की बात सोना धोबिन को बता दी। उस दिन सोमवती अमावस्या थी। उस दिन ब्राह्मण कन्या के साथ सोना धोबिन भी उसके घर आई। लड़की के घर पहुंचकर धोबिन ने अपनी मांग का सिंदूर उस कन्या की मांग में लगाया तो उसके पति के प्राण निकल गए।
धोबिन को इस बात का पता चल गया। जब वह घर लौटने लगी तो रास्ते में पीपल का पेड़ देखकर 108 बार उसकी परिक्रमा की अपने सोमवती अमावस्या के व्रत को पूर्ण किया। इससे उसका पति दोबारा जीवित हो गया। इस तरह जो भी सोमवती अमावस्या का व्रत करता है, उसके घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
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