Bach Baras Katha: इस बार बछ बारस का व्रत 20 अगस्त, बुधवार को किया जाएगा। इस दिन महिलाएं अपने पुत्र की लंबी उम्र के लिए व्रत पूजन करती हैं। इस व्रत का पूरा फल पाने के लिए इसकी कथा सुननी भी जरूरी है।

Bach Baras Vrat Katha In Hindi: हिंदू धर्म में महिलाएं अपने पुत्र की लंबी उम्र और अच्छी सेहत के लिए अनेक व्रत करती हैं, बछ बारस का व्रत भी इनमें से एक है। इसे गोवत्स द्वादशी के नाम से भी जाना जाता है। साल 2025 में ये ये व्रत 20 अगस्त, बुधवार को किया जाएगा। इस व्रत में मुख्य रूप से गाय व बछड़ों की पूजा की जाती है। इस व्रत का पूरा फल तभी मिलता है, जब इसकी कथा सुनी जाए। आगे पढ़ें गोवत्स द्वादशी की कथा…

बछ बारस व्रत की कथा

प्रचलित कथा के अनुसार, किसी समय शहर में एक साहूकर रहता था, उसके सात बेटे थे। एक बार साहूकार ने एक विशाल तालाब बनवाया, लेकिन 12 वर्षों तक वो तालाब पूरा नहीं भर सका। साहूकार ने पंडितों से पूछा तो उन्होंने कहा कि ‘तुम्हें अपने बड़े बेटे या बड़े पोते की बलि देनी होगी, तब ही यह तालाब भरेगा।

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साहूकार ने पंडितों की बात मान ली और योजना बनाकर अपनी बड़ी बहू को पीहर भेज दिया। साहूकार की बड़ी बहू धर्म का पालन करती थी और बछ बारस का व्रत करती थी। जब साहूकार ने अपने बड़े पोते की बलि दी तो जोरदार बारिश होने लगी और देखते ही देखते पूरा तालाब लबालब भर गया।

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साहूकार को ये जब ये पता चला तो वह तालाब की पूजा करने जाने लगा और अपनी दासी से कहा ‘गेऊंला धानुला (चने, मोठ) पका लेना।’ संयोग से उस घर में जो गाय थी, उसके बछड़े का नाम भी गेऊंला धानुला था। दासी ने नासमझी में गाय के बच्चे को ही पका दिया और दूसरे काम करने लगी।
साहूकार जब तालाब की पूजा करने गया तो वहां गोबर में लिपटा हुआ वही पोता मिला, जिसकी उसने बलि दी थी। साहूकार ये देखकर बहुत खुश हुआ और समझ गया बड़ी बहू के द्वारा बछ बारस का व्रत करने के कारण ही उसके पोते को भगवान ने जीवन दान दिया है।
साहूकार खुशी-खुशी घर आया तो तो उसने दासी से गाय के बच्चे के बारे में पूछा। दासी ने उसे पूरी बात सच-सच बता दी। ये सुनते ही साहूकर सिर पकड़कर रोने लगे और सोचने लगा कि जब गाय आएगी तो बछड़ा को न पाकर वो उसके परिवार को भयानक श्राप भी दे सकती है।
ये सोचकर साहूकार ने उस गाय के बछड़े को घर के पास ही गड्डा खोदकर दबा दिया। शाम को गाय जंगल से आई तो बछड़े को ना पाकर रंभाने लगी। फिर गाय घर से बाहर जाकर जमीन खुरेदने लगी। थोड़ा और खुरेदने पर जमीन से गाय का जीवित बछड़ा बाहर निकल आया।
जब साहूकार ने देखा तो उसकी समझ में आ गया कि बछ बारस पर गाय की पूजा करने से ही ये चमत्कार हुआ है। साहूकार ने पूरे गांव में ढिंढोरा पिटवाया और सभी स्त्रियों को बछ बारस का महत्व बताया। साथ ही सभी महिलाओं को ये व्रत करने को कहा।
जो महिला बछ बारस पर बछड़े सहित गाय की पूजा करती है और ये कथा सुनती है, उसके पुत्र की आयु लंबी होती है और सेहत भी ठीक बनी रहती है।


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