सार
Adhik Maas 2023: ज्योतिषियों के अनुसार, इस बार सावन का अधिक मास हो रहेगा यानी 2 सावन मास रहेंगे। ऐसा संयोग 19 साल पहले यानी साल 2004 में भी बना था। शिव भक्तों के लिए ये बहुत ही खास खबर हैं क्योंकि शिवजी की भक्ति के लिए एक महीना अतिरिक्त मिलेगा।
उज्जैन. हिंदू धर्म में अधिक मास (Adhik Maas 2023) को बहुत ही शुभ माना गया है। इसे पुरुषोत्तम मास (purushottam Maas 2023) भी कहते हैं यानी भगवान विष्णु को प्रिय महीना। इसलिए इस महीने में भगवान विष्णु की पूजा विशेष रूप से की जाती है। इस बार सावन का अधिक मास होने से इसका महत्व और भी बढ़ गया है। सावन के अधिक मास का संयोग 19 साल बाद बना है। उससे भी खास बात ये है कि 19 साल पहले जिस तारीख पर सावन का अधिक मास शुरू और समाप्त हुआ था, ठीक वैसा ही संयोग इस बार भी बन रहा है।
कब से कब तक रहेगा अधिक मास? (Adhik Maas 2023 Date)
पंचांग के अनुसार इस बार सावन का अधिक मास 18 जुलाई से शुरू होगा जो 16 अगस्त तक रहेगा। खास बात ये है कि साल 2004 में जब सावन का अधिक मास आया था, उस समय भी वही इसी दिन से यानी 18 जुलाई से शुरू हुआ था और 16 अगस्त को समाप्त हुआ था। ऐसा दुर्लभ संयोग बहुत कम बार देखने में आता है जब इतिहास खुद को दोहराता है।
क्यों आता है अधिक मास? (Importance of Adhik Maas)
विद्ववानों के अनुसार, हिंदू धर्म में दो तरह के कैलेंडर हैं सूर्य और चंद्रमा। चंद्र वर्ष 355 दिन का होता है और सौर वर्ष 365 दिन का। इस तरह एक साल में चंद्र और सौर वर्ष में 10 दिन का अंतर आ जाता है। दिन साल में ये अंतर 30 दिनों का हो जाता है। इस अंतर को दूर करने के लिए हमारे विद्वानों ने अधिक मास की व्यवस्था की है ताकि सभी व्रत-त्योहार निश्चित ऋतुओं में किए जा सकें।
इसे मलमास क्यों कहते हैं?
विद्वानों के अनुसार, अधिकमास में सभी तरह के शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे करने की मनाही होती है। ये महीना भगवान की भक्ति के लिए श्रेष्ठ माना गया है। शुभ कार्य वर्जित होने के कारण ही इसे मल मास कहा गया है। कुछ ग्रंथों में इसे पुरुषोत्तम मास भी कहा गया है क्योंकि जब मल मास को देव कार्यों के लिए वर्जित माना गया तो भगवान विष्णु ने इसका स्वामी बनना स्वीकार किया। इसलिए इस महीने में भागवत कथा पढ़ना-सुनना, मंत्र जप, पूजन, धार्मिक अनुष्ठान, दान आदि शुभ माना गया है।
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