सार

Adhik Maas Ki Katha: पंचांग के अनुसार, इस बार सावन का अधिक मास 18 जुलाई से शुरू हो रहा है, जो 16 अगस्त तक रहेगा। 19 साल बाद सावन के अधिक मास का संयोग इस बार बन रहा है। अधिक मास को मल मास और पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं।

 

उज्जैन. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हर तीसरे साल अधिक मास आता है। इस बार 19 साल बाद सावन के अधिक मास (Adhik Maas Ki Katha) का संयोग बना है। इसके पहले साल 2004 में सावन का अधिक मास (Adhik Maas 2023) आया था। सावन का अधिक मास 18 जुलाई से 16 अगस्त तक रहेगा। धर्म ग्रंथों में अधिक मास को मल मास और पुरुषोत्तम मास (Purushottam maas) भी कहा गया है। इससे जुड़ी एक रोचक कथा भी बहुत प्रचलित है, जो इस प्रकार है…

ये है अधिक मास की कथा (Adhik Maas Ki Katha)
पुराणों के अनुसार, सबसे पहले जब अधिक मास की उत्पत्ति हुई तो सभी देवताओं ने उसका स्वामी होने से इंकार कर दिया। अधिक मास को मल मास कहने से इसकी निंदा होने लगी। जब अधिक मास ने देखा कि सभी महीनों के अपने-अपने स्वामी हैं, लेकिन मेरा कोई भी स्वामी नहीं है, ये सोचकर वो बहुत दुखी हुआ।
दु:खी होकर मलमास भगवान श्रीहरि विष्णु के पास गया और उन्हें पूरी बात बताई। भगवान विष्णु ने अधिक मास को लेकर गोलोक पहुंचें, जहां भगवान श्रीकृष्ण विराजमान थे। अधिक मास ने अपनी व्यथा भगवान श्रीकृष्ण को बताई। भगवान उसकी पीड़ा समझ गए और उसे कई वरदान दिए।
भगवान श्रीकृष्ण ने ये भी कहा कि “आज से मैं तुम्हारा स्वामी हूं। मैं तुम्हें अपना नाम दे रहा हूं। अब से तुम्हें मलमास के स्थान पर पुरुषोत्तम मास के नाम से जाना जाएगा। अन्य सभी महीनों से अधिक तुम्हारा महत्व माना जाएगा।” जो भी इस महीने में जप, जप, पूजा आदि करेगा, उसका कई गुना फल उसे प्राप्त होगा।
इस तरह भगवान श्रीकृष्ण का नाम ‘पुरुषोत्तम’ पाकर मल मास प्रसन्न हो गया। तभी से अधिक मास को पुरुषोत्तम मास के रूप में पूजा जाता है। अन्य सभी महीनों की अपेक्षा इस महीने में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का कई गुना फायदा मिलता है। पुरुषोत्तम मास में दीपदान, वस्त्र एवं श्रीमद्भागवत कथा ग्रंथ दान का विशेष महत्व है।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।