अहोई अष्टमी पर माताएं अपनी संतान की दीर्घायु और उज्ज्वल भविष्य के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। रात में तारों को जल अर्पित करने की परंपरा है। क्या आप जानते हैं कि तारों का संबंध अहोई माता से है और यह व्रत संतान के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए है?

Ahoi Ashtami 2025: अहोई अष्टमी का व्रत हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत मुख्य रूप से माताएं अपने पुत्रों की दीर्घायु और उज्ज्वल भविष्य के लिए रखती हैं। यह करवा चौथ के चार दिन बाद मनाया जाता है।

अहोई माता पूजा और व्रत परंपराएं

अहोई अष्टमी के दिन माताएं निर्जला व्रत रखती हैं और अहोई माता की पूजा करती हैं। इस दिन, अपनी संतान की सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना की जाती है। व्रत के दौरान, माताएं सूर्यास्त के बाद तारों को जल अर्पित करती हैं। यह परंपरा संतान के भविष्य और दीर्घायु के लिए है। इसके बाद, चंद्रमा को गुड़ की खीर का भोग लगाकर व्रत तोड़ा जाता है और बच्चों को भी प्रसाद के रूप में खीर खिलाई जाती है।

तारों को अर्घ्य देने का महत्व

अहोई अष्टमी पर तारों को जल अर्पित करने की परंपरा बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि जिस प्रकार आकाश में तारे सदैव चमकते रहते हैं, उसी प्रकार हमारे घर के सभी बच्चों का जीवन भी उज्ज्वल और सुरक्षित रहे। तारों को देवी अहोई का वंशज माना जाता है, इसलिए उनके प्रति श्रद्धा और पूजा का विशेष महत्व है।

अहोई अष्टमी व्रत का धार्मिक महत्व

अहोई अष्टमी व्रत बच्चों के स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इसे करने से बच्चों को सभी प्रकार की बीमारियों से सुरक्षा मिलती है और उनका भविष्य उज्ज्वल होता है। देवी अहोई को बच्चों के सौभाग्य की रक्षक माना जाता है। इस व्रत को करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और बच्चे अपनी शिक्षा और करियर में उन्नति करते हैं।

वचन विधि और प्रसाद

यह व्रत सूर्योदय से सूर्यास्त तक रखा जाता है और बिना कुछ खाए-पिए तारों को जल अर्पित करके तोड़ा जाता है। माताएं चंद्रमा को गुड़ की खीर का भोग लगाती हैं और बच्चों को भी प्रसाद के रूप में खीर खिलाती हैं। यह व्रत संतान पर मां का आशीर्वाद और सुरक्षा सुनिश्चित करता है।

अहोई अष्टमी कब है?

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 13 अक्टूबर 2025 को प्रातः 12:24 बजे से प्रारंभ होगी। यह तिथि अगले दिन 14 अक्टूबर 2025 को प्रातः 11:09 बजे तक रहेगी। तदनुसार, उदया तिथि के अनुसार, अहोई अष्टमी व्रत 13 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

अहोई अष्टमी व्रत कैसे मनाया जाता है?

माताएं अहोई माता की पूजा के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और रात में तारों को जल अर्पित करके व्रत तोड़ती हैं।

अहोई माता किसका अवतार हैं?

अहोई माता को संतान की रक्षक और कल्याणकारी माना जाता है।

अहोई अष्टमी के महीने में क्या खाना चाहिए?

व्रत रखने वाली माताएं हल्का, व्रत के अनुकूल भोजन जैसे फल या सूखा अनाज खा सकती हैं।

क्या अहोई अष्टमी व्रत के दौरान चाय पी जा सकती है?

नहीं, अहोई अष्टमी व्रत बिना पानी, या चाय या कॉफी के रखा जाता है।

Disclaimer: इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।