सार
Dussehra 2024: रावण के बारे में तो हम सभी जानते हैं, जिसके 10 सिर थे लेकिन क्या आपने महारावण के बारे में जानते हैं जिसके 1 हजार सिर थे। इस महारावण को वध देवी सीता ने किया था।
हर साल नवरात्रि के बाद दशहरा पर्व मनाया जाता है। इस दिन बुराई के प्रतीक रावण के पुतलों का दहन करने की परंपरा है। महर्षि वाल्मिकी द्वारा लिखी गई रामायण और गोस्वामी तुलसीदासजी की रामचरित मानस में 10 सिरों वाले रावण का वर्णन है, जिसके बारे में सभी जानते हैं, लेकिन एक रामायण ऐसी भी है, जिसमें 1 हजार सिर वाले महारावण रावण के बारे में बताया गया है, जिसका वध स्वयं देवी सीता ने किया था। जानें कौन था महारावण…
किस ग्रंथ में मिलता है महारावण का वर्णन?
सनातन धर्म में भगवान श्रीराम के जीवन पर अनेक ग्रंथ लिखे गए हैं। इन सभी में वाल्मीकि रामायण और रामचरित मानस की मान्यता सबसे अधिक है। हिंदू के अलावा और भी कईं भाषाओं में रामायण लिखी है। इनमें से आनंद रामायण भी हिंदी भाषा में लिखी गई है। इस रामायण में कईं अद्भुत कथाओं का वर्णन मिलता है, जिनके बारे में कम ही लोगों को पता है?
कौन था महारावण?
आनंद रामायण के अनुसार, लंका जाकर श्रीराम ने रावण का वध किया और वे देवी सीता को लेकर अयोध्या आ गए। यहां ऋषि-मुनियों ने श्रीराम के पराक्रम की खूब प्रशंसा की। ये देख देवी सीता को हंसी आ गई। कारण पूछने पर देवी सीता ने श्रीराम को बताया कि ‘विश्रवा मुनि की पत्नी कैकसी के दो पुत्र थे। इन दोनों का ही नाम रावण था, जिसमें से बड़े का नाम सहस्रवदन रावण, उसके 1 हजार सिर हैं। दूसरा दशानन रावण था, जिसका आपने वध किया है। हजार सिर वाले रावण को महारावण भी कहते हैं क्योंकि वो बहुत पराक्रमी और भंयकर है।’
श्रीराम हो गए बेहोश-देवी सीता ने किया वध
भगवान श्रीराम अपनी सेना और देवी सीता को लेकर महारावण से युद्ध करने पहुंचे। यहां महारावण और श्रीराम के बीच भयंकर युद्ध हुआ। युद्ध के दौरान श्रीराम बेहोश हो गए। जब देवी सीता ने श्रीराम को संकट में देखा तो उन्होंने भयंकर रूप धारण कर लिया और हाथ में तलवार लेकर रावण के सभी सिर काट दिए और उसका वध कर दिया। ये देख श्रीराम ने एक हजार नामों से देवी सीता की स्तुति की।
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