सार

Ganesh Utsav 2024: एक बार श्रीगणेश पाताल लोक गए तो वहां नागों के राजा वासुकि उनका मजाक उड़ाने लगे। ये देख गणेशजी उसके सिर पर सवार हो गए। शेषनाग ने जब अपने भाई की ये स्थिति देखी तो उन्होंने श्रीगणेश को पाताल का राजा बना दिया।

 

Interesting stories of Shri Ganesha: इस बार गणेश उत्सव 16 सितंबर, सोमवार तक मनाया जाएगा। इस दौरान भक्त अलग-अलग उपायों से भगवान श्रीगणेश को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं और उनकी कथाएं भी सुनते हैं। भगवान श्रीगणेश से जुड़ी अनेक कथाएं मुद्गल पुराण में मिलती है। उसमें एक कथा ये भी है कि कैसे श्रीगणेश पाताल लोक के राजा बने। आगे जानिए श्रीगणेश से जुड़ी ये रोचक कथा…

श्रीगणेश कैसे बने पाताल के राजा?
मुद्गल पुराण के अनुसार, ‘एक बार भगवान श्रीगणेश अपने मित्रों के साथ पाराशर मुनि के आश्रम में खेल रहे थे। तभी वहां पाताल लोक की नाग कन्याएं आईं और श्रीगणेश से पाताल लोक चलने को कहा। श्रीगणेश उनके कहने पर पाताल लोक चले गए। वहां नाग कन्याओं ने श्रीगणेश की खूब सेवा की और तरह-तरह की मिठाइयां खिलाई। साथ ही उपहार भी दिए।
नागों के राजा वासुकि भी ये सब देख रहे थे। वे श्रीगणेश का हाथी वाले मुख को देखकर उनका मजाक उड़ाने लगे। श्रीगणेश ने पहले तो इस पर ध्यान नहीं दिया लेकिन जब वासुकि बार-बार ऐसा करने लगे तो श्रीगणेश को क्रोध आ गया और उन्होंने वासुकि के फन पर अपना पैर रख दिया। साथ ही उनका मुकुट भी पहन लिया।
श्रीगणेश की शक्ति के आगे वासुकि की एक न चली और उनकी बहुत दुर्दशा हो गई। जब ये बात वासुकि के बड़े शेषनाग को पता चली तो वे गर्जना करते हुए पाताल लोक आए और पूछा  ‘किसने मेरे भाई के साथ इस तरह का गलत व्यवहार किया है।’ तब गणेशजी उनके सामने आए और पूरी बात सच-सच बताई।
पूरी बात जानकर शेषनाग को अपने भाई के किए पर पछतावा हुआ और उन्होंने श्रीगणेश की पूजा कर उनसे क्षमा मांगी। साथ ही उन्हें नागलोक यानी पाताल का राजा घोषित कर दिया। श्रीगणेश ने कहा ‘मुझे पाताल का राजा नहीं बनना है। वासुकि ही पाताल लोक के राजा रहेंगे।’ इस तरह श्रीगणेश कुछ देर के लिए पाताल के राजा बन गए।


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