सार

Jagannath Rath Yatra 2024: उड़ीसा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा 7 जुलाई, रविवार जून से शुरू हो चुकी है। भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा की तरह वहां का भोग भी विश्व प्रसिद्ध है।

Interesting facts about the kitchen of Jagannath temple: हिंदू धर्म में 4 धाम यानी तीर्थ स्थानों का विशेष महत्व बताया गया है। उड़ीसा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर भी इन 4 धामों में से एक है। हर साल आषाढ़ मास में यहां रथयात्रा निकाली जाती है, देखने लाखों लोग यहां आते हैं। इस बार ये रथयात्रा 7 जुलाई, रविवार से शुरू हो चुकी है। भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा की तरह ही यहां की रसोई और भोग भी आकर्षण का केंद्र है। यहां भगवान को भोग बनाते समय कई बातों का विशेष ध्यान रखा जाता है। आगे जानिए भगवान जगन्नाथ की रसोई और भोग से जुड़ी खास बातें…

इस खास पानी से तैयार होता है भगवान जगन्नाथ का भोग
जगन्नाथ मंदिर परिसर में दो प्राचीन कुएं हैं जिन्हें गंगा व यमुना कहा जाता है। भगवान का भोग तैयार करने के लिए इन्हीं कुओं से निकलने पानी का उपयोग किया जाता है। खास बात ये है कि कुएं से पानी निकालने के लिए सोने के घड़े का उपयोग किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान जगन्नाथ के लिए जो भी भोग तैयार होता है, उसका निर्माण माता लक्ष्मी की देखरेख में ही होता है।

जगन्नाथ मंदिर की रसोई से जुड़ी 5 रोचक बातें…
1. जगन्नाथ मंदिर की रसोई दक्षिण-पूर्व दिशा में स्थित है। यहां जो भी प्रसाद किया तैयार किया जाता है, उसे महाप्रसाद कहा जाता है।
2. इस रसोई में 742 चूल्हें हैं, जिन पर भगवान के लिए प्रसाद तैयार किया जाता है। हर चूल्हें पर एक के ऊपर एक 8 हांडियां चढ़ाई जाती हैं।
3. खास बात है कि 8 हांडियों में से सबसे ऊपर वाली हांडी का खाना पहले पकता है, और नीचे वाली हांडियों का खाना बाद में पकता है।
4. भगवान जगन्नाथ के भोग को बनाने के लिए 10-20 नहीं बल्कि लगभग 1500 से अधिक लोग काम करते हैं, इनमें हलवाई और सहयोगी शामिल हैं।
5. भोग बनाने में मिट्टी के बर्तनों का ही उपयोग किया जाता है। यहां हर पकवान हिंदू धर्म पुस्तकों के दिशा-निर्देशों के अनुसार ही बनाया जाता है।


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