सार
Jagannath Rath Yatra 2023: हर साल आषाढ़ मास में उड़ीसा के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर से विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा निकाली जाती है। यात्रा से 15 दिन पहले मंदिर के कपाट आम भक्तों के लिए बंद कर दिए जाते हैं।
उज्जैन. उड़ीसा के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ का मंदिर हिंदुओं के पवित्र चार धामों में से एक है। यहां हर साल आषाढ़ मास में भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा को रथ पर बैठाकर यात्रा निकाली जाती है, जिसे जगदीश और जगन्नाथ रथयात्रा (Jagannath Rath Yatra 2023) कहा जाता है। इसे रथयात्रा को देखने के लिए देश हीं नहीं बल्कि विदेश से भी लोग यहां आते हैं। रथयात्रा शुरू होने से 15 दिन पहले भगवान जगन्नाथ का मंदिर आम भक्तों के लिए बंद कर दिया जाता है। बहुत कम लोग इसके पीछे का कारण जानते हैं। आगे जानिए क्या है ये परंपरा और इससे जुड़ी खास बातें…
इसलिए बंद कर दिए जाते हैं मंदिर के कपाट
स्थानीय परंपरा के अनुसार, ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा पर भगवान जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को 108 घड़ों के जल से स्नान करवाया जाता है, जिसे सहस्त्रधारा स्नान कहते हैं। मान्यता है कि इस स्नान के कारण भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा बीमार हो जाते हैं। इसलिए अगले 15 दिन तक मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं आम श्रृद्धालुओं का मंदिर में प्रवेश रोक दिया जाता है। इस दौरान सिर्फ पुजारी ही मंदिर में प्रवेश कर सकते हैं।
15 दिन तक किया जाता है उपचार
बीमार होने के कारण आषाढ़ कृष्ण प्रतिपदा से अमावस्या तक भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा एकांतवास में रहते हैं। इस दौरान इनका उपचार किया जाता है ताकि ये जल्दी से ठीक हो सके। इन 15 दिनों में भगवान को आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां और काढ़े का ही भोग लगाया जाता है। मान्यता है कि इस काढ़े का सेवन करने से भगवान शीघ्र ही स्वस्थ हो जाते हैं और इसके बाद रथ पर सवार होकर अपने भक्तों को दर्शन देने निकलते हैं।
कब से शुरू होगी जगन्नाथ रथयात्रा (Jagannath Rath Yatra 2023 Date)
इस बार भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा का आरंभ 20 जून, मंगलवार से होगा और समापन 28 जून, बुधवार को होगा। 19 जून को त्रिपुष्कर योग सुबह 05:45 से दोपहर 01:07 तक रहेगा। इसके अलावा सुस्थिर और ध्रुव नाम के 2 शुभ योग दिन भर रहेंगे। इन विशेष योगों में जगन्नाथ रथयात्रा का आरंभ होना बहुत ही शुभ रहेगा।
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