Janmashtami 2024: जन्माष्टमी पर क्यों फोड़ते हैं दही हांडी? जानें इसके फायदे
Dahi Handi 2024: हिंदू धर्म में अनेक त्योहार मनाए जाते हैं, जन्माष्टमी भी इनमें से एक है। इस त्योहार से जुड़ी कईं मान्यताएं और परंपराएं भी हैं जो इसे और भी खास बनाती हैं। दही हांडी भी इन परंपराओं में से एक है।
| Published : Aug 22 2024, 03:21 PM IST
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कब है जन्माष्टमी 2024?
Janmashtami 2024 Kab Hai: इस बार जन्माष्टमी का पर्व 26 अगस्त, सोमवार को मनाया जाएगा। सभी त्योहारों की तरह इस पर्व से कईं परंपराएं जुड़ी हैं। ऐसी ही एक परंपरा है दही हांडी की। जन्माष्टमी पर दही हांडी फोड़ने की पंरपरा काफी पुरानी है। ये परंपरा किसने शुरू की, इससे जुड़ी कईं कथाएं प्रचलित है। इस परंपरा से कईं फायदे भी जुड़े हैं। आगे जानिए दही हांडी से जुड़ी खास बातें…
कैसे शुरू हुई दही हांडी की परंपरा?
प्रचलित कथा के अनुसार, बचपन में भगवान श्रीकृष्ण दोस्तों के साथ मिलकर गोकुल में रहने वाले लोगों के घर में चुपके से जाकर उनकी मटकी से माखन निकालकर खुद भी खाते थे और अपने दोस्तों को भी खिलाते थे। कईं बार मक्खन की मटकी काफी ऊंचाई पर रखी होती थी, जिस तक पहुंचने के लिए सभी बच्चे एक के ऊपर एक चढ़ जाते थे। श्रीकृष्ण के मक्खन चुराने की ये लीला बाद में दही हांडी के रूप में बदल गई।
क्या है दही हांडी के फायदे?
दही हांडी से जुड़े कईं फायदे भी हैं, जिसे जानने के लिए आपको इसके लाइफ मैनेजेमेंट के बारे में सोचना होगा। दही हांडी फोड़ना किसी एक व्यक्ति के बस की बात नहीं है, इसके लिए कईं लोगों का सहयोग चाहिए होता है और साथ ही एक योजना भी बनानी पड़ती है। दही हांडी की परंपरा हमें बताती है कि कार्य कितना भी मुश्किल क्यों न हो, उसे सही योजना से मिल-जुलकर किया जाए तो उसे आसानी से किया जा सकता है।
इस बात का भी रखें ध्यान
लाइफ मैनेजमेंट के दृष्टिकोण से देखें तो मक्खन एक तरह से धन का प्रतीक है। यानी जब हमारे पास आवश्यकता से अधिक धन हो तो इसे हमें सहेजकर रखना चाहिए, साथ ही साथ इसमें से कुछ हिस्सा जरूरतमंद लोगों को दान भी करना चाहिए। तभी धन की सार्थकता बनी रहेगी।
मक्खन खाने के फायदे
श्रीकृष्ण जानते थे कि बढ़ती उम्र के बच्चों के लिए दही-मक्खन खाना बहुत जरूरी है, जिससे उन्हें जरूरी पोषक तत्व मिल जाते हैं। साथ ही इस उम्र में हमेशा एक्टिव रहना चाहिए। एक्टिव से अर्थ है खेलों के प्रति रूचि होनी चाहिए। दही हांडी की परंपरा हमें शारीरिक व्यायाम और पोषक आहार का महत्व भी समझाती है।
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Disclaimer
इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।