Khar Maas 2025: ज्योतिष शास्त्र और धर्म ग्रंथों में खर मास का विशेष महत्व बताया गया है। हर साल खास 16 दिसंबर से शुरू होता है। इसके पीछे एक खास वजह है, जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं।
Khar Maas Religious Significance: हम सभी ने खर मास के बारे में कभी न कभी जरुर सुना होगा। खर मास को क्षय मास भी कहते हैं। खर मास से जुड़ी अनेक मान्यताएं और परंपराएं हैं जो इसे और भी खास बनाती हैं। खर मास से जुड़ी अनेक बातें धर्म ग्रंथों व ज्योतिष शास्त्र में भी बताई गई हैं। खर मास में शुभ कार्य जैसे विवाह आदि पर भी रोक लग जाती है। खर मास हर साल एक खास समय पर भी आता है, ऐसा क्यों होता है, उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. नलिन शर्मा से जानें इसके पीछे की वजह…
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16 दिसंबर से ही क्यों शुरू होता है खर मास?
हर साल खर मास 16 दिसंबर से शुरू होता है जो 13 जनवरी तक रहता है। इसके पीछे की वजह है सूर्य का धनु राशि में प्रवेश। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य हर 30 दिन में राशि बदलता है। जब सूर्य गुरु ग्रह की राशि धनु और मीन में होता है तो इसे खर मास कहते हैं। हर साल सूर्य 16 दिसंबर को गुरु की राशि धनु में प्रवेश करता है। यहां सूर्य 13 जनवरी तक रहता है। इसलिए इस पूरे समय को धनु खर मास कहते हैं।
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साल में कितनी बार आता है खर मास?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, गुरु ग्रह की 2 राशियां हैं- धनु और मीन। दिसंबर में धनु राशि में प्रवेश करने के बाद सूर्य 15 मार्च को मीन राशि में प्रवेश करता है। इस राशि में सूर्य 14 अप्रैल तक रहता है। इस समय को भी खर मास कहते हैं। मीन राशि में सूर्य के होने से ये मीन खर मास कहलाता है।
खर मास में क्यों नहीं होते खर मास?
खर मास के दौरान किसी भी तरह का कोई मांगलिक कार्य जैसे विवाह, सगाई, गृह प्रवेश आदि नहीं होते। इसके पीछे की वजह भी ज्योतिष से जुड़ी हुई है। उसके अनुसार, मांगलिक कामों के लिएगुरु का शुभ होना जरूरी है लेकिन खर मास के दौरान जब सूर्य गुरु की राशि में होता है तो गुरु ग्रह मंद हो जाता है। गुरु की किरणें इस समय धरती पर नहीं आ पाती। इस वजह से खर मास में मांगलिक कार्य नहीं किए जाते। लेकिन इस दौरान आप जप, तप, दान आदि कर सकते हैं।
Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।
