सार
Khar Maas Ki Katha: धर्म ग्रंथों के अनुसार, भगवान सूर्यदेव के रथ में 7 घोड़े हैं, ये बात तो हम सभी जानते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि एक बार सूर्यदेव को अपने रथ में गधे को लगाना पड़ा था। ये कथा खर मास से जुड़ी है।
Kab Se Kab Tak Rahega Khar Maas 2024: धर्म ग्रंथों में खर मास का विशेष महत्व बताया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब सूर्यदेव देवगुरु बृहस्पति की राशि धनु में प्रवेश करते हैं तो खर मास शुरू हो जाता है। ऐसा हर साल दिसंबर महीने में होता है। इस बार भी खर मास 16 दिसंबर 2024 से 14 जनवरी 2025 तक रहेगा। खर मास से जुड़ी एक कथा गधों से जुड़ी है। आगे जानिए क्या है ये कथा…
ये हे खर मास की रोचक कथा (Khar Maas Ki Katha)
- मार्कंडेय पुराण के अनुसार, भगवान सूर्यदेव के रथ में 7 घोड़े हैं, जो निरंतर बिना थके चलते रहते हैं। एक बार सूर्यदेव के घोड़े चलते-चलते बहुत तक गए और उन्हें प्यास भी लगी। चलते-चलते उन्हें एक तालाब दिखा, जहां वे रूककर पानी पीने लगे। लेकिन सूर्यदेव तो रूक नहीं सकते थे।
- उसी समय सूर्यदेव को तालाब के किनारे 2 गधे दिखाई दिए। सूर्यदेव ने उन गधों को तुरंत अपने रथ में जोता और अपने परिक्रमा पथ पर निकल गए। 1 महीने तक सूर्यदेव का रथ गधों ने चलाया। एक महीने बाद जब सूर्यदेव उसी स्थान पर पहुंचे तो उन्होंने गधों को निकालकर पुन: अपने घोड़ों को रथ में जोत लिया।
- जिस महीने में सूर्यदेव ने अपने रथ में गधों को जोता था, उस समय वे धनु राशि में थे। तभी से हर साल जब सूर्य धनु राशि में होता है तो इसे खर मास कहते हैं। इस महीने में शुभ कार्य जैसे विवाह आदि भी नहीं किए जाते हैं। इस महीने से जुड़े और भी कईं नियम धर्म ग्रंथों में बताए गए हैं।
खर मास ही क्यों कहते हैं?
संस्कृत में खर के अनेक अर्थ है जैसे- कड़ा, तेज़, तीक्ष्ण और तिनका आदि। खर का एक अर्थ गधा भी है। चूंकि धनु राशि में भ्रमण करते समय सूर्यदेव ने अपने रथ में गधों को जोता था, इसलिए इस मास को खर मास कहा जाता है। अधिकांश लोग इस बात को नहीं जानते।
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Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो ज्योतिषियों द्वारा बताई गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।