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Nagpanchami 2023: साल में सिर्फ 10 दिन के लिए खुलता है ये रहस्यमयी नाग मंदिर, इसे कहते हैं MP का ‘अमरनाथ’
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कब है नागपंचमी?
हर साल श्रावण शुक्ल पंचमी पर नागपंचमी (Nagpanchami 2023) का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 21 अगस्त, सोमवार को है। इस दिन प्रमुख नाग मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। हमारे देश में कईं रहस्यमयी नाग मंदिर भी हैं, ऐसा ही एक मंदिर मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के पचमढ़ी (Pachmarhi) में भी है, जिसे नागद्वार मंदिर (Nagdwar Temple) कहते हैं। हर साल सावन (Sawan 2023) में यहां 10 दिनों का मेला लगता है, जिसमें लाखों भक्त यहां दर्शन करने आते हैं। आगे जानिए इस मंदिर से जुड़ी खास बातें…
इसे कहते हैं मध्य प्रदेश का अमरनाथ
पचमढ़ी स्थित इस नाग मंदिर को मध्य प्रदेश के अमरनाथ कहा जाता है। इसके पीछे कारण है, इसकी दुर्गम चढ़ाई। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए सात पहाड़ों को पार करना पड़ता है। यात्रा के दौरान जरा-सी भी चूक आपकी जान ले सकती है। एक ओर ऊंचे-ऊंचे पहाड़ और नीचे गहरी खाई किसी को भी डराने के लिए काफी है। यही कारण है कि इस मंदिर को मध्यप्रदेश का अमरनाथ कहते हैं।
सिर्फ 10 दिन के लिए खुलता है ये मंदिर
इस मंदिर तक पहुंचने के रास्ते साल में सिर्फ 10 दिनों के लिए ही खोले जाते हैं, वो भी नागपंचमी के ठीक 10 दिन पहले। इस बार नागद्वार मंदिर की यात्रा 12 अगस्त से शुरू हो चुकी है, जो 22 अगस्त तक रहेगी। इस बार नागद्वार मंदिर का यात्रा में लगभग 5 लाख लोगों के आने की उम्मीद है। पुलिस-प्रशासन ने इसके लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं।
यहां से शुरू होगी यात्रा
नागद्वारी मंदिर की यात्रा नागफनी नाम के स्थान से शुरू होती है। ये यात्रा लगभग 15 किलोमीटर की होती है। यात्रा के दौरान सात पहाड़ों पर चढ़ना होता है। ऊंचे-नीचे रास्ते और पहाड़ों पर बनी सीढ़ियों पर चढ़ना किसी रोमांचक यात्रा से कम नहीं होता। नागद्वारी गुफा सतपुड़ा टाइगर रिजर्व क्षेत्र में आती है, इसलिए आम दिनों में यहां प्रवेश वर्जित होता है। इस यात्रा को पूरा करने में लगभग 2 दिन का समय लगता है।
ये है मंदिर से जुड़ी मान्यताएं
नागद्वारी मंदिर के अंदर नागदेवता की कई मूर्तियां हैं। इससे थोड़ी आगे स्वर्ग द्वार है, यहां भी नागदेव की प्रतिमाओं की पूजा की जाती है। मान्यता है कि जो भी भक्त यहां दर्शन करने आते हैं उनकी हर इच्छा पूरी होती है। एक मान्यता ये भी है कि इन पहाड़ियों पर सर्पाकार पगडंडियों से यात्रा करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। नागद्वारी में गोविंदगिरी पहाड़ी पर मुख्य गुफा में शिवलिंग पर काजल लगाने की परंपरा भी है, कहते हैं इससे शिवजी प्रसन्न होते हैं।
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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।