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Nagpanchami 2023: कौन हैं नागों के माता-पिता, क्यों सांपों की जीभ 2 टुकड़ों में बंटी दिखाई देती है?

Nagpanchami 2023: इस बार नागपंचमी का पर्व 21 अगस्त, सोमवार को मनाया जाएगा। इस दिन नागदेवता की पूजा करने का भी विधान है। धर्म ग्रंथों में भी नागों से जुड़ी कई रोचक कथाएं पढ़ने को मिलती हैं। नागों की उत्पत्ति कैसे हुई। इसका वर्णन भी महाभारत में है। 

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Manish Meharele
Published : Aug 20 2023, 09:52 AM IST
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कौन हैं नागों के माता पिता?
Image Credit : Getty

कौन हैं नागों के माता-पिता?

महाभारत के अनुसार, महर्षि कश्यप की तेरह पत्नियां थीं। इनमें से कद्रू भी एक थी। कद्रू ने महर्षि कश्यप से एक हजार तेजस्वी नाग पुत्रों का वरदान मांगा, जिससे शेषनाग, वासुकि, तक्षक, शंखपाल जैसे महान पराक्रमी नागों की उत्पत्ति हुई। शेषनाग ईश्वर भक्ति में लीन हो गए तो वासुकि को नागों का राजा बनाया गया।

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जब कद्रू और विनता में लगी शर्त
Image Credit : Getty

जब कद्रू और विनता में लगी शर्त

महर्षि कश्यप की एक अन्य पत्नी भी थी, जिनका नाम विनता था। पक्षीराज गरुड़ विनता के ही पुत्र हैं। एक बार कद्रू और विनता ने एक सफेद घोड़ा देखा। कद्रू ने कहा कि इस घोड़े की पूंछ काली है और विनता ने कहा सफेद। कद्रू ने कहा कि अगर इस घोड़े की पूंछ काली हुई तो तुम्हें मेरी दासी बनना पड़ेगा। विनता ने शर्त मान ली।

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कद्रू ने किया छल
Image Credit : Getty

कद्रू ने किया छल

शर्त जीतने के लिए कद्रू ने अपने नाग पुत्रों से कहा कि ‘तुम सभी अपना आकार छोटा करके घोड़े की पूछ से लिपट जाओ ताकि उसकी पूंछ काली नजर आए और मैं ये शर्त जीत जाऊं। कुछ सांपों ने ऐसा करने से मना कर दिया जबकि कुछ ये बात मान गए। इस तरह कद्रू ने ये शर्त जीत ली, जिससे विनता उसकी दासी बन गई।

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गरुड़ स्वर्ग से लेकर आए अमृत
Image Credit : Getty

गरुड़ स्वर्ग से लेकर आए अमृत

जब गरुड़ को पता चला कि शर्त हारने के कारण उनकी मां विनता दासी बन गई है तो उन्होंने कद्रू से पूछा कि ‘मैं आपको वो कौन सी वस्तु लाकर दूं जिससे मेरी माता दासत्व से मुक्त हो जाए।’ तब कद्रू और सर्पों ने कहा कि ‘तुम हमें स्वर्ग से अमृत लाकर दोगे तो तुम्हारी माता दासत्व से मुक्त हो जाएगी।’ अपने पराक्रम से गरुड़ स्वर्ग जाकर अमृत कलश ले आए।

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इसलिए सांप की जीभ के हो गए 2 टुकड़े
Image Credit : Getty

इसलिए सांप की जीभ के हो गए 2 टुकड़े

जब गरुड़ स्वर्ग से अमृत कलश लेकर आए और उन्होंने उसे कुशा (एक प्रकार की धारदार घास) पर रख दिया। अमृत पीने से पहले जब सर्प स्नान करने गए, उसी समय देवराज इंद्र अमृत कलश लेकर उठाकर फिर से स्वर्ग ले गए। जब सांपों ने ये देखा तो वे उस घास को ही चाटने लगे, जिस पर कलश रखा था। वो घास बहुत धारदार थी, जिसे चाटने से सांपों की जीभ दो टुकड़े हो गए।

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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

About the Author

MM
Manish Meharele
मनीष मेहरेले। मीडिया जगत में इनके पास 19 साल से ज्यादा का अनुभव है। वर्तमान समय में ये एशियानेट न्यूज हिंदी के साथ जुड़कर धर्म-आध्यात्म बीट पर काम कर रहे हैं। करियर की शुरुआत इन्होंने स्थानीय अखबार दैनिक अवंतिका से की थी। इसके बाद वह दैनिक भास्कर प्रिंट उज्जैन में वाणिज्य डेस्क प्रभारी रहे और 2010-2019 तक दैनिक भास्कर डिजिटल में धर्म डेस्क पर काम किया। इन्हें महाभारत, रामायण जैसे धार्मिक ग्रंथों का अच्छा ज्ञान है। इनके पास जीव विज्ञान में बीएससी स्नातक की डिग्री है।

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