सार
Jawara Visarjan 2024: शारदीय नवरात्रि में समाप्त होने के बाद अगले दिन दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है। साथ ही जवारों को भी नदी में विसर्जित करते हैं। जानें दुर्गा विसर्जन की विधि, मुहूर्त आदि की डिटेल।
Shardiya Navratri 2024 Jawara Visarjan Shubh Muhurat: इस दिन शारदीय नवरात्रि का समापन 11 अक्टूबर, शुक्रवार को हो रहा है। इसके अगले दिन यानी 12 अक्टूबर, शनिवार को दशहरा पर्व मनाया जाएगा। इसी दिन देवी प्रतिमा के साथ-साथ जवारों का विसर्जन भी किया जाएगा। आगे जानिए दुर्गा और जवारे विसर्जन की विधि, शुभ मुहूर्त व अन्य खास बातें…
नवरात्रि दुर्गा-जवारे विसर्जन का शुभ मुहूर्त (Navratri Durga-Jawara Visarjan 2024 Shubh Muhurta)
12 अक्टूबर, शनिवार को दुर्गा-जवारे विसर्जन का शुभ मुहूत इस प्रकार है-
- सुबह 07:53 से 09:19 तक
- सुबह 11:50 से दोपहर 12:36 तक
- दोपहर 12:13 से 01:39 तक
- अमृत 03:06 से शाम 04:33 तक
इस विधि से करें जवारे विसर्जन (Jawara Visarjan Ki Vidhi)
- 12 अक्टूबर, शनिवार की सुबह यानी दशहरे पर जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। ऊपर बताए गए शुभ मुहूर्त में देवी मां की पूजा करें।
- इसके बाद देवी को गंध, चावल, फूल, आदि चढ़ाएं और ये मंत्र बोलें-
रूपं देहि यशो देहि भाग्यं भगवति देहि मे।
पुत्रान् देहि धनं देहि सर्वान् कामांश्च देहि मे।।
महिषघ्नि महामाये चामुण्डे मुण्डमालिनी।
आयुरारोग्यमैश्वर्यं देहि देवि नमोस्तु ते।।
- देवी की पूजा के बाद जवारों की भी विधि-विधान से पूजा करें। चावल, फूल, कुमकुम आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाएं। इनका भी प्रतिमा के समान भी सम्मान करें।
- जब माता प्रतिमा को विसर्जन करने जाएं तो साथ में इन जवारों के भी साथ लेकर जाएं। रास्ते में माता के भजन गाते और नाचते हुए तय स्थान पर पहुंचें।
- देवी प्रतिमा और जवारों का विसर्जन करने से पहले हाथ में चावल व फूल लेकर ये मंत्र बोलें-
गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठे स्वस्थानं परमेश्वरि।
पूजाराधनकाले च पुनरागमनाय च।।
- जवारे विसर्जन के बाद माता को प्रणाम करें और घर की सुख-शांति के लिए माता से प्रार्थना करें। इस प्रकार देवी प्रतिमा और जवारे विसर्जन करने से हर इच्छा पूरी हो सकती है।
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